एमपी बोर्ड परीक्षा में बदलाव: 10वीं-12वीं के छात्र साल में दो बार दे सकेंगे परीक्षा, सप्लीमेंट्री एग्जाम खत्म

भोपाल: अब साल में दो बार होंगी मप्र बोर्ड की 10वीं-12वीं की परीक्षाएं, पूरक परीक्षा खत्म
मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल (मप्र बोर्ड) ने 10वीं और 12वीं के छात्रों के लिए परीक्षा प्रणाली में बड़ा बदलाव किया है। अब हर शैक्षणिक सत्र में दो बार परीक्षा होगी, जिससे छात्रों को अपनी परफॉर्मेंस सुधारने का ज्यादा मौका मिलेगा। इसके साथ ही पूरक परीक्षा की व्यवस्था को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है।
अब साल में दो बार मिलेगी परीक्षा देने का मौका
पहली परीक्षा फरवरी-मार्च में और दूसरी जुलाई-अगस्त में होगी। जुलाई-अगस्त में होने वाली परीक्षा में सिर्फ वे छात्र बैठ सकेंगे, जिन्होंने पहली परीक्षा दी होगी। इन दोनों परीक्षाओं में प्राप्त अंकों के आधार पर ही फाइनल रिजल्ट तैयार किया जाएगा।
CBSE की राह पर मप्र बोर्ड का कदम
हाल ही में CBSE ने भी यह फैसला लिया था कि 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं अब साल में दो बार होंगी। मप्र बोर्ड ने भी इसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए यह नई व्यवस्था लागू की है। अब तक मप्र बोर्ड की परीक्षाएं फरवरी-मार्च में होती थीं और पूरक परीक्षा जुलाई में कराई जाती थी। लेकिन अब पूरक परीक्षा नहीं होगी, बल्कि छात्र सीधे द्वितीय परीक्षा में बैठ सकेंगे।
नई व्यवस्था के तहत क्या-क्या बदलेगा?
- दूसरी परीक्षा (जुलाई-अगस्त) में उन्हीं छात्रों को बैठने का मौका मिलेगा, जिन्होंने पहली परीक्षा दी होगी।
- जो छात्र पहली परीक्षा में किसी विषय में अनुपस्थित रहे या फेल हो गए, वे दूसरी परीक्षा में शामिल हो सकते हैं।
- अगर कोई छात्र अपने अंकों में सुधार करना चाहता है, तो वह भी दूसरी परीक्षा में शामिल हो सकता है।
- पहली परीक्षा में पास होने के बावजूद, छात्र अगर किसी विषय में दोबारा परीक्षा देना चाहते हैं, तो उन्हें यह सुविधा मिलेगी।
- प्रैक्टिकल (प्रायोगिक) विषयों में अगर कोई छात्र फेल हुआ है, तो उसे केवल उसी हिस्से की परीक्षा देनी होगी, जिसमें वह अनुत्तीर्ण हुआ था।
- दूसरी परीक्षा में बैठने के लिए छात्रों को आवेदन करना अनिवार्य होगा, लेकिन इसमें विषय बदलने की अनुमति नहीं होगी।
इस बदलाव से छात्रों को परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन करने का अतिरिक्त मौका मिलेगा और फेल होने के कारण उनका पूरा साल खराब होने की टेंशन भी नहीं रहेगी।