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सुकमा में बड़ी कामयाबी : नक्सलियों का हथियारों का जखीरा बरामद

 सुकमा में सुरक्षाबलों का बड़ा खुलासा: नक्सलियों के गुप्त ठिकाने से मिले हथियार और विस्फोटक!

बड़ी खबर: नक्सलियों की साजिश नाकाम, सुरक्षाबलों ने पकड़ा बड़ा जखीरा-छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले से एक बहुत ही महत्वपूर्ण खबर आ रही है, जहाँ सुरक्षाबलों को नक्सलियों के एक छिपे हुए ठिकाने का पता चला है। 23 अगस्त को मिली एक पुख्ता जानकारी के बाद, मेट्टागुड़ा कैंप से सुरक्षाबलों की एक टीम ने तुरंत नक्सल विरोधी अभियान छेड़ा। इस खास ऑपरेशन में 203 कोबरा बटालियन, 241 बस्तर बटालियन सीआरपीएफ और जिला पुलिस बल के जवान शामिल थे। जब ये बहादुर जवान कोईमेंटा पहाड़ी और उसके आसपास के इलाकों में पहुंचे, तो उन्हें नक्सलियों द्वारा छिपाया गया एक बड़ा जखीरा मिला। इस डंप से भारी मात्रा में हथियार और विस्फोटक सामग्री बरामद की गई है, जिसे सुरक्षाबलों के लिए एक बहुत बड़ी सफलता माना जा रहा है।

अभियान का पूरा विवरण: कहाँ और कैसे हुई कार्रवाई?-यह पूरा नक्सल विरोधी अभियान बोटेलंका, ईरापल्ली, कोईमेंटा पहाड़ी और दारेली गांव जैसे संवेदनशील इलाकों के आसपास चलाया गया था। इन जगहों पर नक्सलियों की गतिविधियों की खबरें अक्सर आती रहती हैं, इसलिए सुरक्षाबलों ने बहुत ही सोच-समझकर एक रणनीति बनाई। उन्होंने इलाके में सर्च ऑपरेशन चलाया और हर छोटी-बड़ी जगह की बारीकी से जांच की। इसी दौरान, कोईमेंटा पहाड़ी पर जवानों को नक्सलियों का छिपाया हुआ माल मिला, जिसमें ढेर सारे हथियार और विस्फोटक थे। यह पूरा ऑपरेशन बहुत ही सावधानी से किया गया ताकि किसी भी जवान या आम नागरिक को कोई नुकसान न पहुंचे। इस बड़ी कार्रवाई से उम्मीद है कि इलाके में नक्सलियों की गतिविधियों पर लगाम लगेगी।

नक्सलियों के हथियार और विस्फोटक: क्या-क्या मिला?-सुरक्षाबलों ने जब नक्सलियों के ठिकाने की तलाशी ली, तो उन्हें कई तरह के हथियार और विस्फोटक मिले। इनमें देसी रायफलें, बीजीएल लांचर और उसका बैरल, यूएवी नेत्रा का टूटा हुआ प्रोपेलर, वेल्डिंग के लिए इलेक्ट्रिक होल्डर और स्टील के पाइप शामिल थे। इसके अलावा, 7 लोहे के सरिये, 45 लोहे की बेस प्लेट (प्रत्येक 2 किलो की), 47 पोल एंगलर और लगभग 480 भारी लोहे के क्लैंप भी जब्त किए गए। इतना ही नहीं, जवानों ने वहां से नक्सलियों की काली वर्दी, एम्युनेशन पाउच और एक टूटी हुई इन्वर्टर बैटरी भी बरामद की। इन सब चीजों को देखकर यह साफ हो जाता है कि नक्सली किसी बड़े हमले की तैयारी कर रहे थे।

लोहे की सामग्री का भंडार: क्या थी नक्सलियों की योजना?-सुरक्षाबलों को इस गुप्त ठिकाने से सिर्फ हथियार ही नहीं, बल्कि बहुत सारी लोहे की सामग्री भी मिली है। इसमें करीब 480 आयरन क्लैंप, 47 पोल एंगलर और कई तरह की लोहे की बेस प्लेटें शामिल हैं। इस तरह की सामग्री का इस्तेमाल नक्सली अक्सर बारूदी सुरंग (IED) और अन्य विस्फोटक बनाने के लिए करते हैं। जवानों ने मौके से दर्जनों ग्राउंड सपोर्टर, 18 और 12 इंच के क्लैंप और टी-टाइप क्लैंप भी बरामद किए। यह सामग्री मिलना सुरक्षाबलों के लिए एक बहुत बड़ी कामयाबी है, क्योंकि इससे नक्सलियों के खतरनाक इरादों को समय रहते रोका जा सकेगा और उनकी योजनाएं धरी की धरी रह जाएंगी।

इलेक्ट्रॉनिक सामान भी मिले: बड़े धमाके की थी तैयारी?-हथियारों और लोहे की सामग्री के अलावा, सुरक्षाबलों को कुछ इलेक्ट्रॉनिक सामान भी मिले हैं। इनमें एक टूटा हुआ यूएवी प्रोपेलर, इन्वर्टर बैटरी, इलेक्ट्रिक तार और एक्सटेंशन बोर्ड शामिल हैं। नक्सली अक्सर इन इलेक्ट्रॉनिक चीजों का इस्तेमाल आईईडी (IED) और दूसरे तरह के विस्फोटक बनाने में करते हैं, जिन्हें दूर से भी एक्टिवेट किया जा सके। सुरक्षाबलों का मानना है कि इन सब चीजों की बरामदगी से यह साफ हो जाता है कि नक्सली किसी बड़े धमाके या हमले की योजना बना रहे थे। लेकिन, जवानों की सतर्कता और समय पर की गई कार्रवाई ने उनकी इस खतरनाक साजिश को पूरी तरह से नाकाम कर दिया है।

नक्सलियों की बड़ी साजिश हुई फेल: सुरक्षाबलों की जीत-सुरक्षाबलों की इस शानदार कार्रवाई से यह बात बिल्कुल स्पष्ट हो गई है कि नक्सली किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की फिराक में थे। इतनी बड़ी मात्रा में हथियार, विस्फोटक और लोहे की सामग्री का मिलना इसी बात का इशारा करता है कि वे किसी बड़े हमले की तैयारी कर रहे थे। लेकिन, हमारे बहादुर जवानों ने समय रहते कार्रवाई करके उनकी इस बुरी मंशा को नाकाम कर दिया। सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि इस बरामदगी से नक्सलियों को बहुत बड़ा झटका लगा है। इससे न केवल उनके हौसले कमजोर होंगे, बल्कि इलाके में उनकी गैर-कानूनी गतिविधियों पर भी लगाम लगेगी।

सुरक्षाबलों की यह बड़ी जीत क्यों है खास?-सुकमा जैसे इलाकों में, जहाँ नक्सलियों की समस्या लगातार बनी रहती है, ऐसी सफलता बहुत मायने रखती है। सुरक्षाबलों ने न केवल नक्सलियों की एक बड़ी योजना को असफल किया है, बल्कि उन्होंने स्थानीय लोगों का भरोसा भी जीता है। इस तरह की कार्रवाइयों से ग्रामीणों को सुरक्षा का अहसास होता है और वे नक्सलियों के खिलाफ आवाज उठाने या उनका सामना करने की हिम्मत जुटा पाते हैं। इस सफलता के बाद, सुरक्षाबलों ने यह साफ कर दिया है कि उनका अभियान ऐसे ही जारी रहेगा और नक्सलियों को उनकी किसी भी साजिश में कामयाब नहीं होने दिया जाएगा।

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