मध्यप्रदेश

आयुर्वेद, भारतीय ज्ञान परम्परा का अभिन्न अंग : आयुष मंत्री परमार

भोपाल : आयुर्वेद यानि भारत और भारत यानि आयुर्वेद; आयुर्वेद भारत की अपनी चिकित्सा पद्धति है और विश्वमंच पर भारत की पहचान भी है। भारत का हर क्षेत्र में अपना समृद्ध और पुरातन ज्ञान है। आयुर्वेद, जीवन पद्धति से जुड़ी चिकित्सा पद्धति है। आयुर्वेद, भारतीय ज्ञान परम्परा का अभिन्न अंग है। विश्व मंच पर आयुर्वेद को महत्व दिया जा रहा है, हमें अपनी चिकित्सा पद्धति पर विश्वास का भाव जागृत करने की आवश्यकता है। यह बात उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष मंत्री श्री इन्दर सिंह परमार ने मंगलवार को “9वें राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस” के उपलक्ष्य पर भोपाल स्थित पं. खुशीलाल शर्मा शासकीय (स्वशासी) आयुर्वेद संस्थान के रजत जयंती सभागार में “वैश्विक स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद नवाचार” विषय पर आयोजित कार्यक्रम के शुभारंभ अवसर पर कही। मंत्री श्री परमार ने कहा कि विश्व के विगत 9 वर्षों से लगातार राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस मनाया जा रहा है। विश्व के 10 और देशों ने भगवान धन्वंतरि जी की जयंती मनाना आरंभ कर दिया है। हमारी विचारधारा, संस्कृति, ज्ञान और चिकित्सा पद्धति को विश्वमंच पर विश्वास प्राप्त हो रहा है। श्री परमार ने कहा कि विश्व के विभिन्न देशों ने अपनी भाषा और अपने ज्ञान के आधार पर अपने देश के विकास की नींव रखी है। भारतीय समाज की जीवन पद्धति, वैज्ञानिक आधार पर स्थापित जीवन पद्धति थी। हमारे देश का ज्ञान सदियों से सर्वश्रेष्ठ था, इसलिए भारत विश्वगुरु की संज्ञा से सुशोभित था। हमें भी अपने पूर्वजों के ज्ञान पर गर्व का भाव जागृत के पुनरुत्थान एवं नवनिर्माण में सहभागिता करनी होगी। श्री परमार ने कहा कि ग्रामीण परिवेश में रसोई, आयुर्वेद से समृद्ध है। भारतीय ग्रामीण परिवेश की रसोई में उपलब्ध मसाले, आयुर्वेद के अनुसंधान एवं शोध के अनूठे उदाहरण हैं। आज भी ग्रामीण परिवेश के साधारण व्यक्ति भी वनस्पति का ज्ञान रखता है। यह व्यवस्था शोध एवं अनुसंधान के आधार पर जनसामान्य के मध्य स्थापित व्यवस्था है। हमारे पूर्वजों ने लोककल्याण के भाव से ज्ञान स्थापित किया, इसलिए कभी इसके एकाधिकार के लिए दस्तावेजीकरण नहीं किया। आज के परिदृश्य में वैश्विक मंच पर भारत की अपनी चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद के शोध एवं अनुसंधान के दस्तावेजीकरण करने की आवश्यकता है।

आयुष मंत्री श्री परमार ने “निरोगी काया के लिए भारतीय चिकित्सा पद्धति-आयुर्वेद” की महत्ता पर अपने विचार व्यक्त किए। श्री परमार ने आयुर्वेद में और अधिक शोध एवं अनुसंधान करने एवं दस्तावेजीकरण के महत्व को प्रकाशित करते हुए आयुर्वेद नवाचार को विश्व पटल पर स्थापित करने के लिए विद्यार्थियों को प्रेरित किया। श्री परमार ने कहा कि भारत के लोगों को भारतीय चिकित्सा पद्धति पर विश्वास का भाव जागृत करना होगा, इससे भारत के वर्ष 2047 तक आयुर्वेद के क्षेत्र में विश्व मंच पर सिरमौर बनने की संकल्पना साकार होगी। श्री परमार ने कहा कि भारतीय परम्परा एवं संस्कृति में कृतज्ञता का भाव विद्यमान है। कृतज्ञता, भारत की विरासत और सभ्यता है। श्री परमार ने विद्यार्थियों को कृतज्ञता भाव के साथ शिक्षा ग्रहण करने के लिए प्रेरित किया। श्री परमार ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के परिप्रेक्ष्य में भारतीय ज्ञान परम्परा पर, प्रदेश में तीव्र गति से क्रियान्वयन हो रहा है। इस अनुक्रम में स्वास्थ्य विज्ञान से जुड़ी चिकित्सा पद्धतियों में, भारतीय ज्ञान परम्परा के युगानुकुल परिप्रेक्ष्य में शोध एवं अनुसंधान करने की आवश्यकता है। श्री परमार ने कहा कि वर्ष 2047 तक भारत, चिकित्सा क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर होगा। श्री परमार ने विद्यार्थियों द्वारा प्रदर्शित किये गये आयुर्वेद आहार (व्यंजनो) से प्रभावित होकर, स्वसहायता समूह का गठन कर विद्यार्थियों को मार्केटिंग के लिये प्रोत्साहित किये जाने का आह्वान भी किया।

कार्यक्रम का शुभारंभ भगवान धनवन्तरी जी के पूजन अर्चन तथा दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। कार्यक्रम के दौरान आयुष मंत्री श्री परमार के समक्ष भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर एवं पं. खुशीलाल शर्मा शासकीय (स्वशासी) आयुर्वेद संस्थान भोपाल के मध्य, संस्थान स्तर पर आयुर्वेद में शोध एवं अनुसंधान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शोध कार्यों के लिए अनुबंध (MOU) हस्ताक्षरित हुआ। मंत्री श्री परमार ने आयुर्वेद आहार उत्सव एवं मिनी एक्सपो का शुभारम्भ किया। आयुर्वेद आहार उत्सव के अंतर्गत स्वस्थ जीवन शैली के लिए संस्थान के स्नातक एवं स्नातकोत्तर छात्र/छात्राओं द्वारा मिलेट्स (मोटा अनाज) से निर्मित आयुर्वेदिक व्यंजनों को प्रदर्शित किया गया। मंत्री श्री परमार ने विद्यार्थियों द्वारा बनाये व्यंजनों का स्वादन कर, उनकी उपयोगिता की सराहना की। श्री परमार ने नाड़ी परीक्षण यंत्र द्वारा नाड़ी परीक्षण तथा “देश का प्रकृति परीक्षण अभियान” अंतर्गत जागरूकता के लिए लगाए गए स्टॉल का भी अवलोकन किया।

“नवम् राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस” के उपलक्ष्य पर 16 से 29 अक्टूबर के मध्य पखवाड़े के रूप में अब तक आयोजित विभिन्न गतिविधियों जैसे आयुर्वेद नवप्रवर्तन संवाद, आयुर शार्क टैंक एवं क्विज फॉर पीजी आदि में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले प्रतिभागी विद्यार्थियों को पुरस्कृत कर, उनका उत्साहवर्धन किया। इस दौरान मंत्री श्री परमार ने संस्थान की गतिविधियों को सोशल मीडिया पर अपडेट करने के लिए, संस्थान के आधिकारिक इंस्ट्राग्राम पेज का विधिवत् शुभारंभ भी किया। मंत्री श्री परमार ने 9वें राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस की सभी को बधाई एवं शुभकामनाएं दीं।

इस अवसर पर भोपाल (दक्षिण-पश्चिम) विधानसभा के विधायक श्री भगवान दास सबनानी ने कहा कि आज के परिदृश्य की चुनौतियों के लिए भारतीय चिकित्सा पद्धति कारगर है। इसका उत्कृष्ट उदाहरण कोविड के संकटकाल के दौरान स्पष्ट रूप से परिलक्षित दिखाई दिया। श्री सबनानी ने कहा कि रोगी व्यक्ति के धैर्य से असाध्य रोग भी ठीक हो सकते हैं। श्री सबनानी ने कहा कि जड़ों से जोड़कर रखने में, आयुर्वेद का योगदान महत्वपूर्ण है। श्री सबनानी ने उपस्थितजनों को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस की शुभकामनाएं भी दीं।

कार्यक्रम में विश्व आयुर्वेद परिषद के संरक्षक वैद्य पं. गोपाल दास मेहता, ओजस फाउंडेशन के वैद्य श्री मधुसूदन देशपांडे, भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर की निदेशक डॉ. मनीषा श्रीवास्तव, मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (मैनिट) भोपाल के निदेशक डॉ. करुणेश कुमार शुक्ल एवं संस्थान के प्रधानाचार्य डॉ. उमेश शुक्ला सहित संस्थान के प्राध्यापक एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button