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BJP के चुनावी वादों से AAP हुई परेशान, केजरीवाल ने कहा- “घोषणा पत्र दिल्ली और देश के लिए खतरे की घंटी”

दिल्ली चुनाव 2025: भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) का नया चुनावी घोषणापत्र अब आम आदमी पार्टी (आप) के लिए एक बड़ी चिंता बन गया है। मंगलवार को भाजपा ने दिल्ली चुनाव के लिए अपना दूसरा संकल्प पत्र जारी किया, जिसके बाद आप के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने भाजपा के घोषणापत्र पर तीखी प्रतिक्रिया दी और इसे दिल्ली और वहां के लोगों के लिए खतरा बताया। केजरीवाल ने कहा कि भाजपा का इरादा दिल्ली में मुफ्त शिक्षा सेवाओं और बिजली की सुविधाओं में कटौती करने का है, जो दिल्लीवासियों की जिंदगी पर बुरा असर डाल सकता है। उनका यह भी कहना था कि भाजपा के ऐसे फैसलों से सरकारी स्कूलों में दी जा रही मुफ्त शिक्षा को बंद किया जा सकता है, जो खासतौर पर गरीब परिवारों के बच्चों के लिए एक बड़ा झटका होगा। यह बयान भाजपा के लोकसभा सांसद अनुराग ठाकुर द्वारा भाजपा के चुनावी घोषणापत्र का ऐलान करने के तुरंत बाद आया। भाजपा ने इस घोषणापत्र में यह वादा किया है कि वह गरीब छात्रों को मुफ्त शिक्षा देने के साथ-साथ ऑटो-रिक्शा चालकों और घरेलू कामकाजी लोगों के लिए कल्याण बोर्ड बनाएगी, जिसमें जीवन बीमा कवरेज भी शामिल होगा।

भा.ज.पा. ने यह भी कहा कि वह आम आदमी पार्टी (आप) के शासन में हुए कथित भ्रष्टाचार की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन करेगी। इसके जवाब में केजरीवाल ने कहा कि अगर भाजपा की नीतियां लागू होती हैं, तो उनकी सरकार द्वारा शुरू की गई मुफ्त शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं और बिजली जैसी सुविधाओं को बंद किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि उनके नेतृत्व में 18 लाख बच्चों को बिना किसी खर्च के अच्छी शिक्षा मिली है। केजरीवाल ने भाजपा की योजनाओं और आप द्वारा शिक्षा क्षेत्र में किए गए कामों के बीच के अंतर को उजागर किया और बताया कि ये बदलाव उन उपलब्धियों को खतरे में डाल सकते हैं। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में 70 सीटों के लिए कुल 699 उम्मीदवार मैदान में हैं, और ये चुनाव 5 फरवरी को होंगे। परिणाम 10 फरवरी को घोषित किए जाएंगे। दिल्ली में कांग्रेस पार्टी ने 15 साल तक सत्ता में रहते हुए अपनी पकड़ बनाई, लेकिन पिछले दो विधानसभा चुनावों में उसे एक भी सीट नहीं मिली। वहीं, आम आदमी पार्टी ने 2015 और 2020 के चुनावों में लगातार जीत दर्ज की और सत्ता में बनी रही, जबकि भाजपा को पिछले चुनावों में सिर्फ कुछ सीटों पर ही सफलता मिली।

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