डायबिटीज के शुरुआती लक्षण पैरों में दिखते हैं – जानिए कैसे बच सकते हैं बड़ी परेशानियों से

डायबिटीज के पैर: वो अनजाने संकेत जिन्हें भूलकर भी न करें नज़रअंदाज़!
क्या आपके पैरों में भी दिखते हैं ये बदलाव? हो सकती है डायबिटीज की दस्तक!-अक्सर हम बीमारियों के शुरुआती लक्षणों को पहचान नहीं पाते, खासकर जब वो धीरे-धीरे दस्तक देती हैं। लेकिन डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जो चुपके से आती है और अक्सर इसके पहले संकेत हमारे पैरों में दिखाई देते हैं। जी हाँ, आपके पैर सिर्फ चलने-फिरने का ज़रिया नहीं, बल्कि आपके शरीर के अंदर चल रही गड़बड़ियों के आईने भी हैं। जब खून में शुगर का लेवल लगातार बढ़ता रहता है, तो सबसे पहले हमारे पैरों की नसों और खून की नलियों पर इसका असर पड़ता है। पैरों में होने वाले ये छोटे-छोटे बदलाव एक तरह का अलार्म होते हैं, जो हमें बताते हैं कि शरीर के अंदर सब कुछ ठीक नहीं है। अगर इन संकेतों को समय पर पहचान लिया जाए, तो हम डायबिटीज की वजह से होने वाली कई गंभीर समस्याओं, जैसे नसों का खराब होना (डायबिटिक न्यूरोपैथी), पैरों में ज़ख्म (अल्सर) और यहाँ तक कि पैर कटने जैसी भयानक स्थिति से खुद को बचा सकते हैं। ज़्यादातर लोग पैरों में होने वाली झनझनाहट, सुन्नपन या हल्के दर्द को सामान्य थकान या विटामिन की कमी समझकर नज़रअंदाज़ कर देते हैं। लेकिन यही छोटी सी लापरवाही आगे चलकर बड़ी मुसीबत बन सकती है। इसलिए, अगर आपको अपने पैरों में बार-बार सुन्नपन, जलन, या किसी भी तरह के घाव को ठीक होने में ज़्यादा समय लगने जैसा महसूस हो, तो इसे बिल्कुल भी हल्के में न लें। फौरन डॉक्टर से संपर्क करें ताकि बीमारी को शुरुआत में ही काबू में किया जा सके और आप एक स्वस्थ जीवन जी सकें।
पैरों में झनझनाहट और सुन्नपन: डायबिटीज का पहला अलार्म-डायबिटीज का सबसे आम और पहला संकेत जो अक्सर पैरों में दिखाई देता है, वो है झनझनाहट या सुन्नपन महसूस होना। कई लोग बताते हैं कि उन्हें ऐसा लगता है जैसे उनके पैरों में चींटियाँ चल रही हों, या फिर जैसे पिन चुभ रहे हों, या कभी-कभी तो ऐसा लगता है जैसे पैरों में बिजली का हल्का झटका लग रहा हो। यह असल में नसों को होने वाले नुकसान का शुरुआती लक्षण है, जिसे मेडिकल भाषा में डायबिटिक न्यूरोपैथी कहते हैं। शुरुआत में यह समस्या कभी-कभार ही महसूस होती है, जैसे कि देर तक बैठे रहने के बाद खड़े होने पर। लेकिन जैसे-जैसे शरीर में शुगर का स्तर अनियंत्रित होता जाता है, यह झनझनाहट और सुन्नपन ज़्यादा बार-बार और लगातार होने लगता है। डॉक्टर बताते हैं कि जब खून में शुगर की मात्रा लगातार ऊँची बनी रहती है, तो इसका ज़हरीला असर शरीर की नाजुक नसों पर पड़ता है, खासकर पैरों और हाथों की नसों पर जहाँ खून का बहाव थोड़ा धीमा होता है। यह नसों का नुकसान सिर्फ संवेदनशीलता को कम ही नहीं करता, बल्कि धीरे-धीरे पैरों में तेज दर्द, जलन और संतुलन बनाने में दिक्कतें भी पैदा कर सकता है। इसीलिए, अगर आपको अपने पैरों में लगातार झनझनाहट या सुन्नपन महसूस हो रहा है, तो इसे सिर्फ थकान या किसी विटामिन की कमी का नतीजा मानकर अनदेखा न करें। तुरंत डॉक्टर से जांच कराएं। इससे यह पता चल सकेगा कि यह समस्या डायबिटीज की वजह से है या किसी और कारण से। अगर सही समय पर इसका इलाज और शुगर का नियंत्रण किया जाए, तो नसों को होने वाला यह नुकसान धीरे-धीरे कम हो सकता है और बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है।
पैरों में जलन या अत्यधिक ठंडक: ब्लड सर्कुलेशन और नसों की गड़बड़ का संकेत-डायबिटीज के मरीजों में पैरों में होने वाली एक और आम समस्या है जलन या अत्यधिक ठंडक महसूस होना। कई लोगों को, खासकर रात के समय, पैरों में ऐसी जलन महसूस होती है मानो उन्होंने किसी गर्म सतह पर पैर रख दिए हों। यह भी नसों को हुए नुकसान का ही एक संकेत है, जिसे डायबिटिक न्यूरोपैथी का ही एक रूप माना जाता है। वहीं, कुछ लोग इसके बिल्कुल विपरीत अनुभव करते हैं – उनके पैर हमेशा ठंडे रहते हैं, भले ही मौसम सामान्य हो या गर्म। इसका मुख्य कारण डायबिटीज की वजह से खून की नलियों का सिकुड़ जाना या उनमें रुकावट आना है। जब पैरों तक खून का बहाव ठीक से नहीं हो पाता, तो वहाँ की कोशिकाओं को पर्याप्त ऑक्सीजन और पोषण नहीं मिलता, जिसके कारण पैर ठंडे महसूस होते हैं। ये दोनों ही लक्षण – जलन और ठंडक – शरीर में बढ़े हुए शुगर लेवल की ओर इशारा करते हैं। पैरों में लगातार जलन या ठंडक को कभी भी सामान्य नहीं समझना चाहिए। अगर आपको यह समस्या बार-बार हो रही है, तो यह साफ तौर पर आपके पैरों में ब्लड सर्कुलेशन के बिगड़ने और नसों के कमजोर होने का संकेत है। डॉक्टरों का कहना है कि पैरों को स्वस्थ रखने के लिए ब्लड शुगर को कंट्रोल में रखना सबसे ज़रूरी है। इसके अलावा, आरामदायक और सही फिटिंग वाले जूते पहनना, अपने पैरों को रोज़ाना अच्छी तरह धोना, और उन्हें मुलायम तौलिए से थपथपाकर सुखाना भी बहुत मददगार साबित होता है। पैरों को हमेशा साफ और सूखा रखना चाहिए ताकि किसी भी तरह के संक्रमण से बचा जा सके।
त्वचा और नाखूनों में बदलाव: डायबिटीज की छिपी हुई चेतावनी-डायबिटीज का असर सिर्फ नसों और ब्लड सर्कुलेशन पर ही नहीं, बल्कि हमारे पैरों की त्वचा और नाखूनों पर भी साफ दिखाई देता है। अक्सर डायबिटीज के मरीजों के पैरों की त्वचा बहुत ज़्यादा रूखी और बेजान हो जाती है, जिसमें खुजली भी हो सकती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि शुगर का स्तर बिगड़ने से शरीर की पसीने और तेल निकालने वाली ग्रंथियाँ ठीक से काम नहीं कर पातीं, जिससे त्वचा की नमी पूरी तरह खत्म हो जाती है। धीरे-धीरे, त्वचा पर पपड़ी जमने लगती है और सूखी त्वचा में दरारें भी पड़ सकती हैं। ये दरारें आगे चलकर संक्रमण का घर बन सकती हैं। कुछ लोगों के पैरों का रंग भी बदलने लगता है; त्वचा पीली या नीली पड़ सकती है, जो खराब ब्लड सर्कुलेशन का संकेत है। कभी-कभी त्वचा बहुत ज़्यादा चमकदार और पतली भी दिखने लगती है, जैसे कागज की तरह। नाखूनों में भी बदलाव देखे जा सकते हैं; वे मोटे, पीले या भद्दे हो सकते हैं। कई बार इन नाखूनों में फंगल इन्फेक्शन भी हो जाता है, जिससे न केवल बदबू आती है बल्कि दर्द भी बढ़ सकता है। ऐसे कोई भी संकेत दिखने पर आपको तुरंत अपने पैरों की विशेष देखभाल शुरू कर देनी चाहिए। पैरों को रोज़ाना मॉइश्चराइज करना, सही नाप के और आरामदायक जूते पहनना, और नियमित रूप से अपने पैरों की जांच करना बहुत महत्वपूर्ण है। अगर आपको अपने नाखूनों का रंग, आकार या बनावट में कोई भी असामान्य बदलाव दिखे, तो बिना देर किए डॉक्टर से सलाह लें।
घाव भरने में देरी और पैरों में दर्द: खतरे की घंटी, तुरंत कराएं जांच!-डायबिटीज का एक बहुत ही खतरनाक और चिंताजनक लक्षण है पैरों में हुए किसी भी छोटे-मोटे ज़ख्म या घाव का बहुत देर से भरना। अगर आपके पैर में हल्की-सी खरोंच, कट या छाला भी सामान्य से बहुत ज़्यादा समय ले रहा है ठीक होने में, तो यह आपके शरीर में बढ़े हुए शुगर लेवल का एक गंभीर संकेत हो सकता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जब ब्लड शुगर का स्तर लगातार ऊँचा रहता है, तो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) कमजोर हो जाती है और घावों को भरने की प्राकृतिक प्रक्रिया बहुत धीमी पड़ जाती है। इस वजह से, जो छोटे-छोटे घाव आसानी से ठीक हो जाने चाहिए थे, वे गंभीर इन्फेक्शन में बदल सकते हैं। कुछ मामलों में, यह स्थिति इतनी बिगड़ जाती है कि डॉक्टर को संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए पैर का वह हिस्सा काटना भी पड़ सकता है। इसके अलावा, डायबिटीज के मरीजों को चलने-फिरने या व्यायाम करने पर पैरों, पिंडलियों या जांघों में दर्द या ऐंठन भी महसूस हो सकती है। इस स्थिति को क्लॉडिकेशन कहा जाता है। यह दर्द थोड़ी देर आराम करने पर कम हो जाता है, लेकिन जैसे ही व्यक्ति दोबारा चलना शुरू करता है, दर्द फिर से लौट आता है। यह पेरिफेरल आर्टरी डिजीज (PAD) का एक लक्षण है, जिसमें पैरों तक खून ले जाने वाली धमनियां सिकुड़ जाती हैं और डायबिटीज के मरीजों में यह बहुत आम है। अगर आपके पैरों में घाव भरने में बार-बार देरी हो रही है या चलते-फिरते समय लगातार दर्द बना रहता है, तो आपको तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए। समय रहते सही इलाज करवाना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि देर करने पर स्थिति बहुत गंभीर हो सकती है और पैरों को बचाना मुश्किल हो सकता है।


