सर्दी-जुकाम, साइनस और एलर्जी से छुटकारा पाने के आसान आयुर्वेदिक उपाय

क्या आप भी उन लोगों में से हैं जिन्हें बार-बार सर्दी-जुकाम, साइनस या एलर्जी की समस्या रहती है? ये समस्याएँ बहुत आम हैं, लेकिन इनसे निपटना वाकई मुश्किल हो सकता है। लगातार नाक बहना, छींक आना, गले में खराश, ये सब परेशान करने वाले होते हैं। लेकिन चिंता मत कीजिए, आयुर्वेद में इन समस्याओं के लिए कई आसान और कारगर उपचार मौजूद हैं। आज हम आपको तीन ऐसे ही उपाय बताएँगे जिनसे आपको राहत मिलेगी।
आयुर्वेद में समझें समस्या की जड़ – आयुर्वेद के अनुसार, बार-बार होने वाली सर्दी-जुकाम, साइनस और एलर्जी की समस्या ‘कफ असंतुलन’ के कारण होती है। कफ असंतुलन में शरीर में ज़्यादा बलगम, पानी और अपचित पदार्थ जमा हो जाते हैं। ये जमाव वायरस और बैक्टीरिया के लिए एक अच्छा प्रजनन स्थल बन जाता है, जिससे बार-बार संक्रमण होता है। इसलिए, कफ को संतुलित करना इन समस्याओं से निजात पाने का सबसे महत्वपूर्ण कदम है।
गर्म पानी का सेवन – अगर आपको साइनस, एलर्जी या बार-बार सर्दी-जुकाम होता है, तो ठंडे पानी से परहेज करें। पूरे दिन गर्म पानी पिएं। गर्म पानी बलगम को पतला करने में मदद करता है और उसे शरीर से बाहर निकालने में आसानी होती है। इससे बलगम का जमाव कम होता है और संक्रमण का खतरा भी कम हो जाता है। गर्म पानी पीने से शरीर का तापमान भी बना रहता है, जो संक्रमण से लड़ने में मदद करता है। आप गर्म पानी में नींबू या अदरक भी मिला सकते हैं।
यूकेलिप्टस स्टीम इनहेलेशन – यूकेलिप्टस के तेल में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण होते हैं जो साइनस और एलर्जी से जुड़ी परेशानियों को कम करने में मदद करते हैं। एक फेस स्टीमर में गर्म पानी और कुछ बूँदें यूकेलिप्टस ऑयल डालें। अपने सिर को एक तौलिये से ढँक लें और इस भाप को कुछ मिनटों तक अंदर खींचें। इससे नाक की नलिकाएँ साफ होती हैं, साँस लेने में आसानी होती है और बलगम निकलने में मदद मिलती है। ध्यान रहे, स्टीम इनहेलेशन करते समय सावधानी बरतें और बहुत गर्म भाप ना लें।
संतुलित आहार – कफ असंतुलन को कम करने के लिए संतुलित आहार बहुत महत्वपूर्ण है। अपने आहार में हल्के और आसानी से पचने वाले भोजन को शामिल करें। ज्यादा तेल-मसालेदार और भारी भोजन से बचें। ताज़ी सब्ज़ियाँ, फल, और साबुत अनाज का सेवन करें। इनमें मौजूद पोषक तत्व शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत करते हैं और संक्रमण से बचाते हैं। अपने आहार में अदरक, हल्दी, और लहसुन जैसी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ भी शामिल करें। ये प्राकृतिक एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट हैं जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।


