
” दोस्ती नहीं, बस खेल के मैदान की शिष्टाचार वाली बातचीत: नीरज ने साफ किया रिश्ता ” दोहा डायमंड लीग से पहले जब नीरज चोपड़ा से पाकिस्तान के भाला फेंक खिलाड़ी अरशद नदीम के साथ उनके रिश्ते को लेकर सवाल किया गया, तो उन्होंने बेहद साफ-सुथरे शब्दों में जवाब दिया। उन्होंने कहा कि उनके और नदीम के बीच कभी कोई गहरी दोस्ती नहीं रही है। दोनों खिलाड़ी प्रोफेशनल स्तर पर एक-दूसरे से मिलते हैं और वही तक सीमित रहता है। नीरज ने कहा, “हम कभी बहुत करीबी दोस्त नहीं थे, हां जब मुकाबले होते हैं तो एक-दूसरे से बात हो जाती है। पर अब हालात पहले जैसे नहीं हैं। नीरज का इशारा साफ तौर पर भारत-पाकिस्तान के मौजूदा हालात और हाल ही में हुए आतंकी हमले की ओर था। उन्होंने कहा कि जब सीमा पर तनाव होता है तो खिलाड़ियों की बातचीत भी प्रभावित होती है। फिर भी अगर कोई खिलाड़ी उनसे इज्जत से बात करता है तो वे भी पूरी इज्जत से जवाब देते हैं। ये एक प्रोफेशनल खिलाड़ी की सोच है जो खेल भावना को समझता है लेकिन अपने देश की परिस्थितियों को भी नजरअंदाज नहीं करता।
आतंकी हमले के बाद माहौल बदला – नीरज चोपड़ा ने बताया कि जब उन्होंने अरशद नदीम को भारत में होने वाले एनसी क्लासिक टूर्नामेंट में आने का न्योता भेजा था, तब हालात बिल्कुल अलग थे। ये आमंत्रण उस वक्त भेजा गया था जब पहलगाम में आतंकी हमला नहीं हुआ था। लेकिन जैसे ही वो दुखद घटना हुई जिसमें 26 लोग मारे गए, सोशल मीडिया पर एक अलग ही माहौल बन गया। नीरज ने बताया कि उनके परिवार तक को ट्रोल किया गया और उनकी देशभक्ति पर सवाल उठाए गए। ये सब देखकर उन्हें बहुत दुख हुआ क्योंकि उनका मकसद सिर्फ खेल को बढ़ावा देना था। उन्होंने कहा, “मैंने कोई गलत नीयत से न्योता नहीं भेजा था। खेल में ऐसा होता रहता है, हम खिलाड़ी एक-दूसरे को बुलाते हैं। पर उसके बाद जो सोशल मीडिया पर हुआ, वो काफी तकलीफदेह था।” नीरज का ये बयान उन लोगों के लिए भी एक जवाब है जो सोशल मीडिया पर किसी भी बात का गलत मतलब निकालकर उसे ट्रोलिंग का जरिया बना लेते हैं। उन्होंने साफ किया कि उनका मकसद खेल को जोड़ना था, ना कि विवाद खड़ा करना।
मैदान पर प्रतिस्पर्धा – नीरज चोपड़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये भी कहा कि भाला फेंकने वालों का दायरा बहुत छोटा है। हर कोई अपने देश के लिए खेलता है और हर कोई अपनी मेहनत से वहाँ पहुंचता है। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में उनके अच्छे दोस्त हैं, चाहे वो इसी खेल के हों या किसी और खेल से जुड़ें हों। और जब भी कोई सम्मान से बात करता है तो नीरज भी उसी अंदाज़ में बात करते हैं। नीरज की ये सोच दर्शाती है कि वो केवल एक शानदार खिलाड़ी नहीं, बल्कि एक जिम्मेदार इंसान भी हैं। उन्होंने ये भी स्वीकार किया कि खिलाड़ी होने के नाते कई बार बातचीत जरूरी हो जाती है। लेकिन हर बातचीत दोस्ती में नहीं बदलती और न ही हर प्रतिस्पर्धा दुश्मनी बन जाती है।पेरिस ओलंपिक में अरशद नदीम ने 92.97 मीटर का थ्रो कर गोल्ड जीता था, जबकि नीरज को सिल्वर मिला था। इसके बावजूद नीरज की मां ने कहा था, “हमें हमारा बेटा सिल्वर लाया है, लेकिन जिसने गोल्ड जीता वो भी अपना ही बच्चा है।” यही सोच भारतीय खेल संस्कृति की खूबसूरती है।

