
यरूशलम की हिब्रू यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने सिगरेट के धुएं में मौजूद बेन्जो(ए)पाइरीन नाम के खतरनाक केमिकल पर नजर डाली। ये शरीर में घुसते ही डीएनए से चिपक जाता है, उसके काम करने का ढंग बिगाड़ देता है और कोशिकाओं को तोड़ देता है। इजराइल के साइंटिस्ट्स की एक टीम ने पकड़ा कि डीएनए की बनावट और उसमें होने वाले केमिकल बदलाव सिगरेट से फेफड़ों के कैंसर का रिस्क कैसे बढ़ा देते हैं। सिन्हुआ न्यूज एजेंसी की बात सुनो तो यरूशलम की हिब्रू यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने सिगरेट के धुएं में मौजूद बेन्जो(ए)पाइरीन नाम के खतरनाक केमिकल पर नजर डाली। ये शरीर में घुसते ही डीएनए से चिपक जाता है, उसके काम करने का ढंग बिगाड़ देता है और कोशिकाओं को तोड़ देता है। ये रिसर्च न्यूक्लिक एसिड्स रिसर्च मैगजीन में छपी और इसमें खुलासा हुआ कि डीएनए की बनावट और उसमें होने वाले केमिकल बदलाव ये तय करते हैं कि सिगरेट का नुकसान कितना गहरा होगा, शरीर उसे कितना ठीक कर पाएगा और इससे कितने बदलाव जन्म लेंगे। स्टडी में देखा कि डीएनए के कुछ हिस्से जो ज़्यादा खुले और तेज रहते हैं, वो नुकसान से ज़्यादा डरते हैं, लेकिन वो खुद को ठीक करने में भी तेज हैं, जिससे वक्त के साथ उनमें कम बदलाव होते हैं। पर जो हिस्से ठीक करने में कमजोर हैं, वो ढेर सारे बदलाव इकट्ठा कर लेते हैं, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। रिसर्चरों ने ये भी पकड़ा कि कुछ प्रोटीन, जो जीन को चलाते हैं, कभी-कभी डीएनए को चोट से बचाते हैं, पर कुछ मौकों पर वो इसे और कमजोर कर देते हैं।
साइंटिस्ट्स का मानना है कि डीएनए को ठीक करने की शरीर की काबिलियत ये तय करने में बड़ी बात है कि बदलाव होंगे या नहीं, बजाय इसके कि सिर्फ नुकसान की मात्रा ही सब कुछ हो। ये स्टडी बताती है कि सिगरेट पीना डीएनए को खराब करके और बदलाव पैदा करके फेफड़ों के कैंसर का रास्ता कैसे बनाता है। इससे आगे चलकर कैंसर को रोकने और इलाज को बेहतर करने में मदद मिल सकती है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन कहता है कि दुनिया में कैंसर से होने वाली सारी मौतों में से 25% तंबाकू की वजह से हैं। ये फेफड़ों के कैंसर का सबसे बड़ा विलेन भी है। ये इस मैदान में एक बड़ी सेहत की दिक्कत बनी हुई है, जहां करीब 18.6 करोड़ लोग (यानी बड़ों की आबादी का 26%) तंबाकू यूज करते हैं।
सिगरेट पीने वालों में जिंदगी भर फेफड़ों का कैंसर होने का डर न पीने वालों से 22 गुना ज़्यादा रहता है।
सिगरेट का ज़हरीला धमाका
सिगरेट का धुआं बेन्जो(ए)पाइरीन नाम का ज़हर लिए होता है। ये अंदर जाता है और डीएनए की सारी सेटिंग उलट-पुलट कर देता है।
डीएनए का टूटा सपना
रिसर्चरों ने खोजा कि डीएनए की बनावट और बदलाव सिगरेट से कैंसर का रिस्क कैसे बढ़ाते हैं। खुले हिस्से कमजोर हैं, पर ठीक होने में चतुर।
कैंसर की चुपके से चाल
जो डीएनए ठीक नहीं हो पाता, वो बदलाव बटोरता है और कैंसर की राह बनाता है। प्रोटीन कभी ढाल हैं, कभी ढीले पड़ जाते हैं।
तंबाकू का काला सच
25% कैंसर मौतों का जिम्मेदार तंबाकू है। 18.6 करोड़ लोग इसे यूज करते हैं और सिगरेट से कैंसर का खतरा 22 गुना बढ़ जाता है।