
कांग्रेस का ओबीसी दांव: क्या चलेगा ये खेल?-कांग्रेस ने दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में धूमधाम से ‘भागीदारी न्याय महासम्मेलन’ किया। राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे जैसे बड़े नेता भी मौजूद थे। इस सम्मेलन का मकसद साफ था – ओबीसी वोट बैंक को साधना। आइये, जानते हैं कैसे?
ओबीसी वोटों की अहमियत-मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में ओबीसी आबादी काफ़ी ज़्यादा है, लगभग 50%! इसलिए, ये समुदाय राज्य की राजनीति में बहुत अहम है। कांग्रेस ने कमलेश्वर पटेल, अरुण यादव जैसे कई बड़े ओबीसी नेताओं को बुलाया। कांग्रेस का संदेश साफ़ है – हम ओबीसी समुदाय के मुद्दों को गंभीरता से लेते हैं और उन्हें सत्ता में भागीदारी देंगे।
जातिगत जनगणना: क्या है खेल?-कांग्रेस लंबे समय से जातिगत जनगणना की मांग कर रही है। राहुल गांधी का कहना है कि इससे पिछड़े वर्गों की असली स्थिति का पता चलेगा और योजनाएँ बेहतर बनेंगी। कांग्रेस इस सम्मेलन से ओबीसी समुदाय को यह भरोसा दिलाना चाहती है कि वो उनके साथ है। आने वाले चुनावों को देखते हुए, ये रणनीति काफ़ी महत्वपूर्ण है क्योंकि ओबीसी वोट चुनावों का नतीजा बदल सकते हैं।
क्या चलेगा कांग्रेस का ये दांव?-यह सम्मेलन कांग्रेस का ओबीसी समुदाय तक पहुँचने का एक प्रयास है। क्या ये कामयाब होगा, ये तो वक़्त ही बताएगा। लेकिन, ओबीसी वोट बैंक को साधना हर पार्टी के लिए ज़रूरी है। देशभर से ओबीसी नेताओं के आने से कांग्रेस का संदेश पूरे देश में पहुँचा है।



