
भारत और पाकिस्तान के बीच इस समय हालात काफी तनावपूर्ण हैं। पिछले तीन दिनों से दोनों देशों के बीच जबरदस्त सैन्य कार्रवाई हो रही है। एक तरफ भारत ने आतंकी ठिकानों को जवाबी कार्रवाई में तबाह किया है, तो दूसरी तरफ पाकिस्तान ड्रोन और मिसाइल हमले करने से पीछे नहीं हट रहा। इस तरह की स्थिति ने न सिर्फ दोनों देशों के बीच तनाव को बढ़ा दिया है, बल्कि दुनियाभर में चिंता का माहौल बना दिया है। इस संघर्ष के माहौल में सबसे बड़ा सवाल ये है कि जब दो देशों के बीच हालात इतनी गंभीर स्थिति में पहुंच चुके हैं, तो क्या इस समय किसी एक पक्ष को आर्थिक मदद देना सही है? खासकर उस देश को, जिस पर लंबे समय से आतंक को पनाह देने के आरोप लगते आए हैं।
IMF की आर्थिक मदद पर उठा सवाल: पाकिस्तान को क्यों दी गई 1 अरब डॉलर की रकम – इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड यानी IMF ने हाल ही में पाकिस्तान को 1 अरब डॉलर की मदद दी है। यह मदद एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (EFF) के तहत दी गई है। यह बात ऐसे वक्त सामने आई है जब पाकिस्तान पर भारत ने एयर स्ट्राइक की है और जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान ने भी कई बार सीजफायर तोड़ा है। भारत ने IMF के इस फैसले का कड़ा विरोध किया है और यह आशंका जताई है कि पाकिस्तान इस रकम का इस्तेमाल भारत के खिलाफ सैन्य गतिविधियों में कर सकता है। भारत के मुताबिक यह केवल एक फाइनेंशियल मदद नहीं है, बल्कि यह एक रणनीतिक चूक है जिससे आतंकवाद को और ताकत मिल सकती है।
क्या IMF का फैसला सिर्फ आर्थिक है या कोई साजिश – IMF ने पाकिस्तान को दी गई रकम को लेकर जो तर्क दिए हैं, वो आर्थिक सुधारों से जुड़े हैं। IMF का कहना है कि ये फंड पाकिस्तान की डगमगाती अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में मदद करेगा। लेकिन भारत का दावा है कि पाकिस्तान इस पैसे का इस्तेमाल आतंक फैलाने और सैन्य खरीददारी में करेगा। सोशल मीडिया और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी इस फैसले को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कई लोगों का मानना है कि IMF जैसे संस्थानों को ऐसी स्थितियों में फंड देने से पहले यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उस पैसे का दुरुपयोग न हो।
भारत की जवाबी कार्रवाई और पाकिस्तान की चालें – पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत एयर स्ट्राइक की थी। इसमें पाकिस्तान और पाक-अधिकृत कश्मीर (PoK) में 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया। इसके जवाब में पाकिस्तान ने भी मिसाइल और ड्रोन अटैक किए। हालांकि भारत की जवाबी कार्रवाई कहीं ज्यादा सटीक और तीव्र थी। सरकार की तरफ से स्पष्ट संदेश दिया गया है कि अगर पाकिस्तान आतंक को बढ़ावा देगा तो उसे करारा जवाब मिलेगा। इस बीच IMF की मदद को लेकर भारत की चिंता और भी बढ़ गई है।
राजनीतिक और कूटनीतिक हलकों में मचा बवाल – भारत के विरोध के बावजूद IMF ने जो रकम जारी की, उस पर कूटनीतिक गलियारों में भी बवाल मचा हुआ है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा, “यह समझ नहीं आता कि जब पाकिस्तान हथियारों की खरीद और तबाही फैलाने में लगा है, तब IMF कैसे उसे मदद कर सकता है।” कई अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने भी सवाल उठाए हैं कि क्या IMF वाकई स्वतंत्र संस्था है या किसी बड़े राजनीतिक इशारे पर काम कर रही है। भारतीय वित्त मंत्रालय ने साफ शब्दों में कहा है कि IMF के इस फैसले में “नैतिक सुरक्षा उपायों” का अभाव है।
क्या IMF की रकम से फैलेगा खून-खराबा – भारत सरकार ने चिंता जताई है कि IMF द्वारा दी गई फंडिंग का उपयोग सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए किया जा सकता है। भारत के मुताबिक, अगर ये पैसा आतंकियों को शरण देने, हथियार खरीदने और सैन्य उद्देश्यों में इस्तेमाल हुआ, तो इसका सीधा असर भारत की सुरक्षा पर पड़ेगा।IMF जैसी संस्थाएं जब ऐसे फैसले लेती हैं तो उनके पीछे की नीयत और पारदर्शिता पर भी सवाल उठते हैं। क्या IMF को यह सुनिश्चित नहीं करना चाहिए था कि पैसा सिर्फ आर्थिक सुधार में लगे? या फिर इस फैसले के पीछे कोई राजनीतिक दबाव काम कर रहा था?


