जानिये गंगा की तीन धाराओं का रहस्य, गंगा को क्यों कहा जाता है त्रिपदगामिनी

क्या गंगा में डुबकी लगाने से सचमुच सारे पाप धुल जाते हैं, शंका का समाधान करते हुए भगवान शिव ने माता पार्वती को बताया यह अद्भुत रहस्य। आइए जानते हैं गंगा की तीन धाराओं से जुड़ा रहस्य

देवी पार्वती ने भगवान शिव से पूछा कि गंगा में डुबकी लगाने से क्या सचमुच सारे पाप धुल जाते हैं क्योंकि उन्होनें देखा है कि गंगा में अनेक बार स्नान करने पर भी लोग दुःखी हैं

इस पर शिवजी ने उत्तर दिया गंगा में तो सामर्थ्य है, परंतु इन लोगों ने पापनाशिनी गंगा में स्नान ही नहीं किया, ये लोग सिर्फ जल में डुबकी लगाकर आ रहे हैं। शंकर जी ने पार्वती जी की शंका को दूर करने के लिए पृथ्वी पर एक कोढ़ी का रूप लिया और गंगा जी के समीप गड्ढे में बैठ गए, पार्वती जी ने एक सुंदर स्त्री का रूप धारण कर लिया

गंगा स्नान करके लौटने वाले लोगों से वह अपने कोढ़ी पति को निकालने का आग्रह करती और यह भी बताती कि व्यक्ति के पाप शेष होने पर निकालने वाले को कोढ़ हो सकता है। ऐसा सुनकर किसी ने भी शिव जी को गड्ढे से नहीं निकाला। काफी प्रतीक्षा के बाद एक युवक आया और उसने कहा, ‘माता! मैंने पूर्व में तो बहुत पाप किए हैं, परन्तु गंगा स्नान करने से समस्त पाप धुल जाते हैं, मैं अभी गंगा स्नान करके आया हूं, यह कहकर उसने कोढ़ी का रूप धारण करे शिव को गड्ढे से निकाल दिया

इस पर शिवजी ने पार्वती से कहा कि ‘‘इतने लोगों में से इस एक ने ही गंगा स्नान किया है

जब श्री विष्णु ने वामनवतार में तीन पग भूमि के लिए अपना दूसरा पग उठाया तो उनके बाऐं पैर के अंगूठे के धक्के से ब्रह्माण्ड का सूक्ष्म जलीय कवच टूट गया, जिसे ब्रह्मा जी ने कमण्डल में भर लिया। यह जल विष्णु पदों का प्रक्षालन करता हुआ, भागीरथ के तपस्या यत्न से पृथ्वी पर गंगा के रूप में आया

गंगा के वेग को सम्भालने के लिए शिव जी ने अपनी जटाओं में गंगा को स्थान दिया। पहला प्रवाह स्वर्ग में गया, दूसरा भूतल पर रह गया और तीसरा पाताल में बह गया इसलिए गंगा की तीन धाराओं का वर्णन प्राप्त होता है

पाताल गंगा, भागीरथी गंगा और आकाश गंगा। पृथ्वी तत्व पाताल गंगा, जलीय तत्व भागीरथी, और तेज तत्व आकाश गंगा है। इसलिए गंगा को त्रिपथगा अथवा त्रिपदगामिनी कहते हैं। विष्णु के सम्बंध के कारण गंगा को विष्णुपदी कहते हैं