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उत्तराखंड भू-कानून: जमीन से जुड़े ये 3 बड़े बदलाव, जो जनता के लिए हैं खास

उत्तराखंड में नया भू-कानून: जमीन की लूट पर रोक, सख्त नियम लागू उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने के बाद धामी सरकार ने अब भू-कानून को लेकर भी तेजी दिखानी शुरू कर दी है। सदन में इसे पास करने के बाद अब इसे लागू करने की तैयारियां जोरों पर हैं। इस कानून को लेकर लोगों में खासा उत्साह और जिज्ञासा देखी जा रही है। माना जा रहा है कि इसके सख्त नियमों से पहाड़ों और मैदानी इलाकों में जमीन की धांधली और अवैध खरीद-बिक्री पर रोक लगेगी। सरकार की पूरी मशीनरी इसे सही तरीके से लागू करने में जुटी हुई है।

सख्त नियमों से जमीन की अवैध खरीद-बिक्री पर लगेगी लगाम

उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950 में संशोधन कर नया विधेयक 2025 बजट सत्र के दौरान सदन में पेश किया गया, जिसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। UCC के बाद यह सरकार का दूसरा बड़ा फैसला माना जा रहा है, जिसने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है। उत्तराखंड के रजत जयंती वर्ष में इसे सरकार की एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है, जिसके प्रभाव लंबे समय तक नजर आएंगे।

1. कृषि भूमि खरीदने की छूट खत्म

पहले बाहरी लोगों को कृषि और बागवानी के लिए 12.5 एकड़ तक जमीन खरीदने की छूट मिली हुई थी, जिसके कारण बड़े पैमाने पर जमीन की हेराफेरी हो रही थी। इस पर रोक लगाने के लिए सरकार ने हरिद्वार और उधम सिंह नगर को छोड़कर बाकी 11 जिलों में इस छूट को पूरी तरह खत्म कर दिया है। अब पहाड़ी जिलों में बाहरी व्यक्ति कृषि और बागवानी के लिए जमीन नहीं खरीद पाएंगे। वहीं, हरिद्वार और उधम सिंह नगर में भी नियम कड़े कर दिए गए हैं। इन जिलों में अब कृषि भूमि खरीदने के लिए जिला अधिकारी (DM) की बजाय राज्य सरकार से अनुमति लेनी होगी। साथ ही, खरीददार को यह प्रमाण पत्र भी देना होगा कि उसे इस जमीन की जरूरत है।

2. घर के लिए जमीन खरीदने का सिर्फ एक मौका

इस नए कानून के तहत नगर निकाय और छावनी परिषद क्षेत्रों को इससे बाहर रखा गया है। यदि कोई बाहरी व्यक्ति निकाय क्षेत्र के बाहर घर बनाने के लिए जमीन खरीदना चाहता है, तो उसे सिर्फ एक बार यह मौका मिलेगा। इसमें अधिकतम 250 वर्ग मीटर तक की जमीन खरीदी जा सकती है, और इसके लिए उसे एक शपथ पत्र देना अनिवार्य होगा।

3. जमीन के उपयोग में बदलाव पर सख्त निगरानी

भू-कानून के अनुसार, नगर निकाय क्षेत्रों में जमीन का उपयोग सिर्फ तय किए गए मकसद के लिए ही किया जा सकेगा। अगर कोई इसका उल्लंघन करता है, तो वह जमीन सरकार के अधीन हो जाएगी। इसी वजह से, जमीन खरीदने वालों के लिए शपथ पत्र को जरूरी कर दिया गया है ताकि किसी तरह की गड़बड़ी न हो। इसके अलावा, जमीन खरीद की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल भी शुरू किया गया है। इस पोर्टल के जरिए पूरी प्रक्रिया पर नजर रखी जाएगी और सभी जिलाधिकारियों को नियमित रूप से राजस्व परिषद और सरकार को रिपोर्ट देनी होगी।

मुख्यमंत्री का बयान: उत्तराखंड की जमीन और संसाधनों की सुरक्षा

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यह भू-कानून जनता की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए लागू किया गया है। लोग लंबे समय से सख्त भू-कानून की मांग कर रहे थे और सरकार ने उनकी मांग के अनुरूप इसमें प्रावधान किए हैं। उन्होंने कहा कि इस ऐतिहासिक फैसले से उत्तराखंड के प्राकृतिक संसाधनों, सांस्कृतिक धरोहरों और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा होगी। नए भू-कानून को राज्य के विकास और भूमि संरक्षण के लिए एक बड़ा कदम माना जा रहा है, जिससे उत्तराखंड की भौगोलिक और सांस्कृतिक पहचान को सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी।

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