BSE पर SEBI की बड़ी कार्रवाई: एक्सचेंज को देना पड़ा 25 लाख का जुर्माना, शेयरों में गिरावट

BSE पर SEBI का 25 लाख का जुर्माना: पारदर्शिता में कमी का सबक
SEBI ने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) पर लगाया 25 लाख रुपये का जुर्माना- बीएसई के शेयरों में गुरुवार को 1.47% की गिरावट देखने को मिली जब सेबी ने कॉर्पोरेट घोषणाओं को सभी निवेशकों तक समान रूप से और समय पर नहीं पहुँचाने और ब्रोकरों की गलतियों को नज़रअंदाज़ करने के लिए 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। यह कार्रवाई फरवरी 2021 से सितंबर 2022 के बीच की जांच के बाद की गई है।
कुछ खास लोगों को पहले मिल रही थी जानकारी- सेबी की जांच में पाया गया कि बीएसई के सिस्टम में गड़बड़ थी जिससे कुछ खास क्लाइंट्स और अंदरूनी टीम को कॉर्पोरेट घोषणाएँ आम लोगों से पहले मिल रही थीं। यह बाजार की पारदर्शिता के खिलाफ है और सेबी ने इसे नियमों का उल्लंघन माना है। इससे कुछ लोगों को फायदा हो सकता था, जो बिल्कुल गलत है।
सभी निवेशकों को एक साथ जानकारी देना ज़रूरी- किसी भी शेयर बाजार का काम है कि सभी निवेशकों तक एक साथ जानकारी पहुँचे। लेकिन बीएसई ऐसा नहीं कर पाया। उन्होंने ऐसा कोई सिस्टम नहीं बनाया जिससे सभी को एक साथ जानकारी मिले। इससे बाजार में असमानता आ सकती है।
सेबी की जांच के बाद ही सुधार- बीएसई ने बाद में अपने सिस्टम में बदलाव किए, लेकिन सेबी ने साफ कर दिया कि ये बदलाव जांच के बाद किए गए, पहले से कोई तैयारी नहीं थी। यह दिखाता है कि बीएसई ने पहले से ही अपनी ज़िम्मेदारी नहीं निभाई।
ब्रोकरों की गलतियों पर ढिलाई- सेबी ने बीएसई पर ब्रोकरों की बार-बार होने वाली गलतियों पर ध्यान नहीं देने का भी आरोप लगाया। बीएसई ने इन पर कोई कार्रवाई नहीं की और न ही इन पर सही से नज़र रखी। यह भी एक गंभीर कमज़ोरी है।
नियमों का उल्लंघन- सेबी का कहना है कि बीएसई ने SECC रेगुलेशन 2018 के नियम 39(3) का उल्लंघन किया है। यह नियम सभी यूज़र्स को निष्पक्ष जानकारी देने के बारे में है। इस नियम को तोड़ने से बाजार में भरोसा कम होता है।
निवेशकों के लिए क्या मतलब?- यह घटना दिखाती है कि बाजार में पारदर्शिता कितनी ज़रूरी है। सभी को समान जानकारी मिलनी चाहिए। सेबी की सख्ती से यह संदेश गया है कि कोई भी एक्सचेंज अगर लापरवाही करेगा तो उसे जवाब देना होगा।




