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Potato Adulteration: आपकी रसोई में आलू के तौर पर ‘जहर’ तो नहीं मौजूद? घर पर 1 मिनट में ऐसे करें पहचान

आज के इस दौर में मार्केट में हर कई चीज़ें मिलावटी मिल रही हैं। इन मिलावटी चीज़ों के सेवन से शरीर को कई तरह से नुक्सान होता है। मार्केट में मौजूद मिलाटवखोरों को इससे कोई मतलब नहीं। ऐसे में सर्दियों का सीजन शुरू होते ही बाजार में ‘नए आलू’ की मांग बढ़ जाती है, लेकिन इसी मांग का फायदा उठाकर मिलावटखोर आपकी सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। मुनाफे के लालच में विक्रेता पुराने कोल्ड स्टोरेज वाले आलुओं को अमोनिया और सिंथेटिक रंगों से ट्रीट करके ‘नया आलू’ बनाकर बेच रहे हैं। यह प्रक्रिया न केवल धोखाधड़ी है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए अत्यंत घातक भी है। विशेषज्ञों के अनुसार इन रसायनों के संपर्क में आने से सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन और त्वचा संबंधी गंभीर रोग हो सकते हैं। इस मिलावट के पीछे का मुख्य कारण पुराने स्टॉक को ऊंचे दामों पर निकालना और उपज को कृत्रिम रूप से चमकदार बनाना है

ऐसे बनाते हैं  पुराने आलू को नया

मिलावटखोर पुराने आलू का कायाकल्प करने के लिए एक पूरी प्रक्रिया अपनाते हैं। सबसे पहले पुराने आलुओं को अमोनिया के घोल में कई घंटों तक डुबोकर रखा जाता है। इससे आलू का सख्त छिलका मुलायम और पतला हो जाता है। इसके बाद  इसे घोल से निकालकर गीली मिट्टी में रगड़ा जाता है, जिससे ऊपरी छिलका उतर जाता है और आलू बिल्कुल ताजे ‘नए आलू’ जैसा दिखने लगता है। कई बार इनका रंग निखारने के लिए हानिकारक सिंथेटिक रंगों का भी प्रयोग किया जाता है।

केमिकल वाले आलू की पहचान कैसे करें?

बाजार से आलू खरीदते समय आप इन आसान तरीकों से मिलावट पकड़ सकते हैं:

  • असामान्य चमक: अगर आलू जरूरत से ज्यादा चमकदार और उसकी सतह एकदम चिकनी दिख रही है, तो समझ जाएं कि इसमें केमिकल का इस्तेमाल हुआ है। प्राकृतिक नए आलू की सतह साधारण और सफेद होती है।
  • छिलके की परत: नया आलू खुरचने पर छिलका निकलता है, लेकिन अगर छिलका पूरी परत के रूप में आसानी से उतर रहा है, तो वह अमोनिया से ट्रीट किया गया पुराना आलू है।
  • अजीब गंध: आलू को सूंघकर देखें; यदि उसमें मिट्टी के बजाय किसी तीखी या रासायनिक दवा जैसी महक आ रही है, तो उसे खरीदने से बचें।
  • काटने पर अंतर: नया आलू काटने पर सूखा और कड़ा होता है, जबकि केमिकल युक्त पुराना आलू काटने पर अंदर से पानी या रस छोड़ता है।
  • पानी का परीक्षण: आलू को पानी में भिगोकर देखें। यदि मिट्टी के साथ पानी का रंग बदलने लगे, तो समझ लें कि इसे सिंथेटिक रंगों से रंगा गया है।

 

 

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