
MTNL पर लगा ₹6.73 लाख का भारी जुर्माना: आखिर क्या थी वजह?-सरकारी टेलीकॉम कंपनी, महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (MTNL), हाल ही में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) द्वारा लगाए गए एक बड़े जुर्माने के कारण चर्चा में है। दोनों प्रमुख स्टॉक एक्सचेंजों ने मिलकर MTNL पर कुल **₹6.73 लाख** का जुर्माना लगाया है। यह कार्रवाई कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की संरचना से संबंधित है, जो SEBI (LODR) 2015 के नियमों के अनुरूप नहीं पाई गई। मुख्य समस्या यह थी कि कंपनी समय पर बोर्ड में आवश्यक नियुक्तियां पूरी नहीं कर सकी, जिसमें एक महिला निदेशक की नियुक्ति और ऑडिट कमेटी का उचित गठन शामिल था। यह जानकारी MTNL ने स्वयं रेगुलेटरी फाइलिंग के माध्यम से स्टॉक एक्सचेंजों को शुक्रवार को दी।
SEBI के नियमों का उल्लंघन: क्या हुई गड़बड़ी?-SEBI (सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) के लिस्टिंग ऑब्लिगेशन और डिस्क्लोजर रिक्वायरमेंट्स (LODR) 2015 के अनुसार, प्रत्येक सूचीबद्ध कंपनी को अपने बोर्ड की संरचना में कुछ विशेष नियमों का पालन करना अनिवार्य होता है। इन नियमों में बोर्ड में एक महिला निदेशक का होना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, कंपनी को समय-समय पर विभिन्न महत्वपूर्ण समितियों, जैसे ऑडिट कमेटी, नॉमिनेशन एंड रिम्यूनरेशन कमेटी, स्टेकहोल्डर रिलेशनशिप कमेटी और रिस्क मैनेजमेंट कमेटी का गठन भी करना होता है। MTNL पर यह आरोप लगाया गया है कि उन्होंने इन समितियों का गठन निर्धारित समय-सीमा और नियमों के अनुसार नहीं किया। इसी चूक के कारण NSE और BSE दोनों ने कंपनी को नोटिस जारी करने के बाद यह जुर्माना लगाया है। यह मामला कंपनी के कॉर्पोरेट गवर्नेंस के मानकों पर सवाल उठाता है।
महिला निदेशक की नियुक्ति में देरी का कारण क्या था?-MTNL ने इस जुर्माने के संबंध में अपनी ओर से स्पष्टीकरण देते हुए बताया है कि एक पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग (PSU) होने के नाते, बोर्ड के सदस्यों, विशेष रूप से स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति की प्रक्रिया सीधे तौर पर कंपनी के नियंत्रण में नहीं होती है। इन नियुक्तियों का अधिकार दूरसंचार विभाग (Department of Telecommunications – DoT) के पास है। कंपनी ने यह भी सूचित किया है कि दो स्वतंत्र निदेशकों, जिनमें एक महिला निदेशक भी शामिल हैं, की नियुक्ति 15 अप्रैल से प्रभावी कर दी गई है। हालांकि, यह भी स्वीकार किया गया है कि अभी भी चार अन्य स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति के लिए केंद्र सरकार से मंजूरी की प्रतीक्षा की जा रही है। यह प्रक्रियात्मक देरी ही जुर्माने का मुख्य कारण बनी है।
MTNL ने क्या कदम उठाए हैं और आगे क्या?-इस जुर्माने के जवाब में, MTNL ने NSE और BSE दोनों से इस राशि को माफ करने की अपील की है। कंपनी का मुख्य तर्क यह है कि बोर्ड में नियुक्तियों से संबंधित यह मामला उनके प्रत्यक्ष अधिकार क्षेत्र में नहीं आता, बल्कि यह प्रशासनिक मंत्रालय, यानी दूरसंचार विभाग की जिम्मेदारी है। इसी आधार पर, कंपनी ने दोनों स्टॉक एक्सचेंजों से इस जुर्माने को वापस लेने का अनुरोध किया है। हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि स्टॉक एक्सचेंज इस अपील पर क्या निर्णय लेंगे। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या एक्सचेंज कंपनी के तर्क को स्वीकार करते हैं या जुर्माना लागू रहता है।



