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बिजली की मांग का नया रिकॉर्ड, 156 बिलियन यूनिट पहुंचा आंकड़ा

नई दिल्ली। भीषण गर्मी के चलते इस साल बिजली की मांग का रिकॉर्ड टूट सकता है, और इसमें 13 प्रतिशत मांग बढ़ने की आशंका है। क्रिसिल की मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल-मई 2023 की तुलना में बिजली की मांग में लगभग 13 प्रतिशत की वृद्धि होने की संभावना है। वास्तव में, मई में बिजली की मांग बढ़कर 156 बिलियन यूनिट (बीयू) हो जाने का अनुमान है, जो पिछले साल की तुलना में 15 प्रतिशत अधिक है।
पीक पावर डिमांड
रिपोर्ट के अनुसार, 29 और 30 मई को भारत में पीक पावर डिमांड अभूतपूर्व शिखर पर पहुंच गई, जो क्रमशः 246 गीगावाट और 250 गीगावाट पर पहुंच गई। अप्रैल और मई में पिछले वर्ष की तुलना में कुल बिजली उत्पादन में लगभग 9 प्रतिशत और 18 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है, जिसमें मई में लगभग 169 बिलियन यूनिट (बीयू) का उल्लेखनीय उच्च रिकॉर्ड दर्ज किया गया।
कारण और प्रभाव
देश के विभिन्न हिस्सों में लोग भीषण गर्मी से निपटने के लिए तरह-तरह के इंतजाम कर रहे हैं, जिससे बिजली का उपयोग भी बढ़ रहा है। क्रिसिल की रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल और मई के महीनों में देश की बिजली खपत अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच सकती है। रिपोर्ट में बताया गया है कि कूलिंग उपकरणों के उपयोग में वृद्धि और मजबूत विनिर्माण गतिविधि के कारण इस वित्तीय वर्ष के शुरुआती दो महीनों में बिजली की मांग में भारी वृद्धि हुई है।
उच्च तापमान
अप्रैल 2024 में देश में औसत अधिकतम तापमान 35.6 डिग्री सेल्सियस रहा, जो सामान्य से 0.65 डिग्री सेल्सियस कम है। अप्रैल के 30 दिनों में से सिर्फ दो दिन ही देश भर में अधिकतम तापमान सामान्य से कम रहा। मई के अंत तक पूरे देश में अधिकतम तापमान 45-48 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। 29 मई को, राजस्थान के चुरू में तापमान 50.5 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जो इस मौसम का सबसे ज़्यादा तापमान था।
विनिर्माण गतिविधि
क्रय प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) के अनुसार विनिर्माण गतिविधि अप्रैल और मई दोनों में 50 की विस्तार सीमा से ऊपर रही, जो क्रमशः 58.8 और 57.5 पर दर्ज की गई। विनिर्माण गतिविधि में इस उछाल ने वाणिज्यिक और औद्योगिक क्षेत्रों से बिजली की मांग को बढ़ावा दिया। यह बढ़ती मांग बिजली उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखला पर अतिरिक्त दबाव डाल सकती है। सरकार और ऊर्जा कंपनियों को इस चुनौती का सामना करने के लिए रणनीतिक योजनाएं बनानी होंगी ताकि बिजली की मांग को पूरा किया जा सके और उपभोक्ताओं को निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।

 

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