
सरकार की देरी: सोयाबीन की फसल पर मंडराया संकट, किसान चिंतित!
क्या सरकार सुन रही किसानों की पुकार?-मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राज्य सरकार पर एक गंभीर आरोप लगाया है, जिससे किसानों की चिंताएं और बढ़ गई हैं। उन्होंने बताया कि इस बार सोयाबीन की खरीद प्रक्रिया अभी तक शुरू ही नहीं हुई है। इससे भी बड़ी बात यह है कि सरकार ने इस संबंध में केंद्र को कोई प्रस्ताव भी नहीं भेजा है। पिछले साल इसी समय, यानी 25 सितंबर से रजिस्ट्रेशन शुरू हो गए थे और 25 अक्टूबर से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद भी चालू हो गई थी। इस बार हो रही देरी किसानों के लिए एक बड़ी समस्या खड़ी कर सकती है। कमलनाथ का कहना है कि अगर समय पर खरीद नहीं हुई, तो किसान मजबूरी में अपनी फसल बिचौलियों को बहुत कम दाम पर बेचने पर मजबूर हो जाएंगे। उन्होंने सरकार से तुरंत प्रस्ताव भेजने और किसानों को समय पर MSP का लाभ सुनिश्चित करने की मांग की है।
किसानों को सही दाम मिलने में अड़चन का खतरा-कमलनाथ ने इस बात पर जोर दिया कि आजकल मंडियों में सोयाबीन का भाव लगभग 4500 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है, जबकि सरकार ने MSP 5328 रुपये तय की है। अगर सरकारी खरीद समय पर शुरू नहीं होती है, तो किसान अपनी मेहनत से उगाई गई फसल का पूरा मूल्य नहीं पा सकेंगे। उन्होंने याद दिलाया कि पहले भी सरकार ने मूंग की खरीद में देरी की थी, जिससे किसानों को काफी नुकसान हुआ था। उस समय तो ऐसी अफवाहें भी फैलाई गईं कि प्रदेश का मूंग ‘ज़हरीला’ है। बाद में कांग्रेस और किसानों के दबाव के बाद ही खरीद शुरू हुई थी। उनका मानना है कि इस तरह बार-बार हालात बनाकर सरकार किसानों की मुश्किलें और बढ़ा रही है।
खाद और यूरिया की कमी ने भी बढ़ाई किसानों की परेशानी-सिर्फ सोयाबीन की खरीद ही नहीं, बल्कि कमलनाथ ने किसानों की एक और बड़ी समस्या की ओर भी ध्यान दिलाया है। उन्होंने कहा कि समय पर यूरिया न मिलने के कारण किसानों को हाल ही में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ा। किसान महीनों तक यूरिया के लिए परेशान होते रहे, लेकिन सरकार ने समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाया। इसका सीधा फायदा बिचौलियों और कालाबाज़ारी करने वालों को मिला, जबकि किसान मजबूर होकर ज्यादा पैसे खर्च करने पर विवश हुए। उन्होंने आरोप लगाया कि यह सब सरकार की लापरवाही का नतीजा है और किसानों को उनकी ज़रूरत की चीजें भी सही समय पर नहीं मिल पा रही हैं।
कमलनाथ की सीधी और स्पष्ट मांग-पूर्व मुख्यमंत्री ने साफ कहा कि अब और इंतज़ार नहीं किया जाना चाहिए। सरकार को तुरंत केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजना चाहिए और MSP पर सोयाबीन की खरीद सुनिश्चित करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि किसानों को उनकी मेहनत का सही दाम मिलना ही चाहिए, क्योंकि वे दिन-रात मेहनत करके अनाज उगाते हैं और प्रदेश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। अगर खरीद समय पर शुरू हो जाती है, तो किसान मजबूरी में बिचौलियों को अपना माल कम दाम पर बेचने से बच पाएंगे और उन्हें उचित मूल्य मिलेगा। कमलनाथ का कहना है कि यह केवल राजनीति का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह किसानों की आजीविका और उनके हक़ का सवाल है।




