भारत ने चीन से जुड़े सेटेलाइट्स किया ब्लॉक

नई दिल्ली। भारत ने चीन से जुड़े सेटेलाइट्स को पूरी तरह से ब्लॉक कर दिया है। आज भारत जिस मुकाम पर खड़ा है, वहां हम ना केवल अपनी धरती की रक्षा कर रहे बल्कि अंतरिक्ष में भी राष्ट्र की सुरक्षा की दीवार खड़ी कर रहे हैं। अभी हाल ही में इसरो ने भारत का अब तक का सबसे भारी कम्युनिकेशन सेटेलाइट लॉन्च किया और उसी समय सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया कि अब कोई भी भारतीय प्लेटफार्म, न्यूज़ चैनल या ओटीटी र्विस किसी भी चाइनीस लिंक सेटेलाइट का इस्तेमाल नहीं करेगा। यानी कि अब भारत का मनोरंजन, भारत की खबरें और भारत का डाटा किसी भी विदेशी या खासकर चीन के कंट्रोल में नहीं रहेगा।
सरकार ने साफ आदेश दिया कि जो भी प्लेटफार्म एशिया सेट फाइव और एशिया सेट से जैसे सेटेलाइट पर निर्भर है जिनमें चीन की सरकारी कंपनियों की ओनरशिप है उन्हें तुरंत शिफ्ट होना पड़ेगा। यानी अब भारत का हर चैनल हर ओटीटी या तो भारतीय उपग्रह GS830, GS817 पर जाएगा या फिर किसी भरोसेमंद विदेशी सेटेलाइट पर। लेकिन चीन का खेल अब खत्म हो गया है। भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन एवं प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) ने चाइनासैट और हांगकांग स्थित ऑपरेटरों एपस्टार और एशियासैट के उन आवेदनों को अस्वीकार कर दिया है जो भारतीय फर्मों को उपग्रह सेवाएँ प्रदान करना चाहते थे।
भारत में एशियासैट की 33 वर्षों की उपस्थिति के बावजूद, वर्तमान में मार्च तक केवल AS5 और AS7 उपग्रहों के लिए ही प्राधिकरण है, जबकि AS6, AS8 और AS9 उपग्रहों के लिए अनुमतियाँ अस्वीकार कर दी गई हैं।
एक सूत्र ने ईटी को बताया कि जियोस्टार, ज़ी आदि सहित प्रसारकों के साथ-साथ टेलीपोर्ट ऑपरेटरों को अगले साल मार्च तक एशियासैट 5 और 7 उपग्रहों से स्थानीय जीसैट और इंटेलसैट जैसे अन्य उपग्रहों पर स्थानांतरित होना है। एक अन्य सूत्र ने संकेत दिया कि कंपनियों ने परिचालन संबंधी व्यवधानों को रोकने के लिए यह बदलाव शुरू कर दिया है।
इंटेलसैट, स्टारलिंक, वनवेब, आईपीस्टार, ऑर्बिटकनेक्ट और इनमारसैट सहित कई अंतरराष्ट्रीय उपग्रह ऑपरेटरों को भारत में संचार और प्रसारण सेवाएँ प्रदान करने के लिए प्राधिकरण प्राप्त हुआ है। अधिकारियों ने संकेत दिया है कि जीसैट भारत में पर्याप्त उपग्रह क्षमता विकसित कर रहा है, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि संगठनों को पिछली चुनौतियों का सामना न करना पड़े। ज़ी के एक प्रवक्ता ने वित्तीय दैनिक को जीसैट-30, जीसैट-17 और इंटेलसैट-20 उपग्रहों पर उनके संक्रमण की पुष्टि की। प्रवक्ता ने कहा यह कदम सितंबर 2025 के मध्य तक उठाया जाएगा। फिलहाल, एशियासैट-7 पर हमारी कोई सेवा उपलब्ध नहीं है। एशियासैट वर्तमान में भारत में अपनी सेवाएँ जारी रखने के लिए अंतरिक्ष नियामक के साथ बातचीत कर रहा है।




