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वित्त वर्ष 2025 में चीन से पाइप्स के आयात में वृद्धि , उद्योग संगठन ने डंपिंग और सुरक्षा को लेकर जताई चिंता

नई दिल्ली। चीन से सीमलेस पाइप्स और ट्यूब्स का आयात वित्त वर्ष 2024-25 में दोगुना से अधिक बढ़कर 4.97 लाख मीट्रिक टन पर पहुंच गया है। घरेलू उद्योग संगठन सीमलेस ट्यूब मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसटीएमएआई) के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष में यह आंकड़ा 2.44 लाख मीट्रिक टन था।
उद्योग के आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2023 में यह आयात 1.47 लाख टन रहा था, जबकि वित्त वर्ष 2021-22 में केवल 82,528 मीट्रिक टन का आयात हुआ था।

चीन से पाइप्स के आयात में पांच गुना बढ़ा
STMAI के अध्यक्ष शिव कुमार सिंघल ने बताया कि वित्त वर्ष 2025 में चीन से पाइप्स के आयात में वित्त वर्ष 2022 की तुलना में लगभग पांच गुना वृद्धि दर्ज की गई है। उन्होंने बताया कि घरेलू पाइप उद्योग की सुरक्षा के लिए भारत सरकार के मजबूत समर्थन के बावजूद चीनी पाइप आयात में समय के साथ तेजी से वृद्धि हुई है। चीन से आयात पर अंकुश लगाने में ये प्रयास काफी हद तक अप्रभावी साबित हुए हैं।

उद्योग संगठन ने चीनी कंपनियों पर लगाए गंभीर आरोप
उद्योग संगठन ने कहा कि चीनी कंपनियां भारतीय बाजार में पाइपों की डंपिंग कर रही हैं। साथ ही भारतीय सीमा शुल्क पर अधिक बिलिंग के माध्यम से करों और शुल्कों की चोरी कर रही हैं। सिंघल ने बताया कि कथित तौर पर चीनी आयातक कस्टम क्लीयरेंस के दौरान उत्पादों के चालान मूल्य को कृत्रिम रूप से बढ़ा-चढ़ाकर दिखा रहे हैं, जबकि वही उत्पाद भारतीय बाजार में घरेलू निर्माताओं की तुलना में काफी कम कीमत पर बेच रहे हैं। यह निष्पक्ष व्यापार के सिद्धांतों को कमजोर करती है और भारतीय उत्पादकों को गंभीर प्रतिस्पर्धात्मक नुकसान पहुंचाती है।

चीन सस्ते पाइपों से भारतीय अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहा
उन्होंने कहा कि चीन न केवल बाजार में सस्ते पाइपों की बाढ़ लाकर भारतीय अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि ताप विद्युत, परमाणु ऊर्जा, तेल व गैस जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों को घटिया सामग्री की आपूर्ति करके गंभीर सुरक्षा चिंताएं भी पैदा कर रहा है।

सिंघल ने कहा कि ये गतिविधियां भारत के भविष्य के ऊर्जा और बुनियादी ढांचे के परिदृश्य के प्रमुख घटकों में घुसपैठ करने और संभावित रूप से समझौता करने के रणनीतिक प्रयास का संकेत देती हैं। ऐसे घटनाक्रमों पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है, क्योंकि ये भारत की आर्थिक संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए दीर्घकालिक जोखिम पैदा कर सकते हैं।

उन्होंने बताया कि सीमलेस पाइपों का न्यूनतम आयात मूल्य 85,000 रुपये प्रति टन है और भारतीय बाजारों में छोटी मात्रा में चीनी पाइपों का बाजार मूल्य 70,000 रुपये प्रति टन है। इसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर डंपिंग के कारण स्वदेशी क्षमता का कम उपयोग हो रहा है। साथ ही इससे रोजगार के अवसर भी खत्म हो गए हैं।

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