पंजाब की पहली हॉकी ओलंपियन बन गुरजीत कौर ने चमकाया राज्य का नाम
अमृतसर। अजनाला के गांव मियादी कलां की गुरजीत कौर जिले ही नहीं, राज्य में हॉकी के क्षेत्र में पहली ओलंपियन हैं। पिता सतनाम सिंह बोर्डिंग स्कूल में बच्चियों को खेलते देखते थे, तो उनकी भी इच्छा होती थी कि उनकी दोनों बेटियां हॉकी खेलें। उन्होंने छठी क्लास में बेटियों गुरजीत व प्रदीप कौर को हॉकी स्टिक, ट्रैक सूट व जूते लाकर दिए। इसके बाद गुरजीत ने खेलना शुरू किया तो फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। गुरजीत का सपना था कि वह हॉकी खिलाड़ी बनकर अपने मां-बाप के साथ-साथ देश का नाम चमकाए। उसने कड़ी मेहनत से यह सपना पूरा भी कर दिखाया।
इस समय गुरजीत अपनी प्रतिभा के दम पर रेलवे में नौकरी कर रही है। प्रदीप कौर ने बताया कि वह बड़ी हैं जबकि गुरजीत दूसरे नंबर की हैं। घर में कोई नौकरी पेशा नहीं था। पिता और चाचा बलजिंदर कृषि करते हैं, लेकिन दोनों बेटियों को अच्छी शिक्षा देना चाहते थे। गांव में एक सरकारी स्कूल होने के बावजूद पिता ने अजनाला के एक निजी स्कूल में उनका दाखिला कराया। पिता उन्हें साइकिल पर स्कूल ले जाते थे जो 13 किमी दूर था और स्कूल समाप्त होने तक प्रतीक्षा करते थे। छठी कक्षा में उन्होंने दोनों बहनों का दाखिला तरनतारन के बोर्डिग स्कूल में करवा दिया। यहां दाखिले के बाद उन्होंने हॉकी खेलना शुरू किया। सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में खेलों का अच्छा माहौल था।
यहीं से खेल के क्षेत्र में प्रवेश कर गुरजीत ने अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी बनकर अपने मां-बाप का नाम रोशन किया है। 2006 में हॉकी खेलना शुरू करने के बाद गुरजीत ने 2016 में रेलवे के प्रयागराज मंडल में सीनियर क्लर्क का पद ज्वाइन किया। वहीं से गुरजीत का भाग्य बदला।
उनका भारतीय हॉकी टीम में चयन हो गया। गुरजीत ने 2018 में एशियन गेम्स में हिस्सा लिया। कामनवेल्थ गेम्स में गुरजीत भारतीय टीम का हिस्सा रहीं। 2021 में टोक्यो ओलिंपिक में उन्होंने दमदार प्रदर्शन करते हुए ओलिंपियन बनने का सपना पूरा किया। डिफेंडर कम ड्रैग-फ्लिकर गुरजीत कौर टोक्यो ओलिंपिक में उन सितारों में से एक थीं, जिन्होंने पहली बार ओलंपिक सेमीफाइनल में पहुंचने में अपनी टीम की मदद करने के लिए चार गोल किए। वह फारवर्ड वंदना कटारिया के साथ भारतीय टीम के लिए संयुक्त शीर्ष स्कोरर रहीं थीं।