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मानवता, कर्तव्यों और संकल्पों का बोध कराती है गीता : मोदी

उडुपी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि पवित्र गीता का मानव कल्याण का संदेश हर युग में प्रासंगिक है और वह मानवता, कर्तव्यों के पालन तथा जीवन में सिद्धि के लिए संकल्पों का बोध कराती है।

श्री मोदी ने आज उडुपी के श्रीकृष्ण मठ में शुक्रवार को ‘लक्ष कंठ गीता पारायण’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि भगवान ने गीता का संदेश युद्ध भूमि में दिया था इसलिए राष्ट्र की सुरक्षा नीति का मूल भाव गीता में समाहित है। गीता के शब्द व्यक्ति ही नहीं, राष्ट्र की नीति को भी दिशा देते हैं और बताते हैं कि शांति और सत्य की स्थापना के लिए अत्याचारियों का अंत भी आवश्यक है। उनकी सरकार का ‘सबका साथ, सबका विकास’ का सिद्धांत सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय की नीतियां गीता में समाहित भगवान श्री कृष्ण के श्लोकों की प्रेरणा से ओतप्रोत है।

उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण के उपदेश और उनकी शिक्षा, हर युग में व्यवहारिक हैं। भगवदगीता में, श्री कृष्ण ने सर्वभूतहिते रता: ये बात कही है। गीता में ही कहा गया है- लोक संग्रहम् एवापि, सम् पश्यन् कर्तुम् अर्हसि ! इन दोनों श्लोकों का अर्थ यही है कि हम लोक कल्याण के लिए काम करें। जीवन में, जगदगुरु मध्वाचार्य जी ने इन्हीं भावों को लेकर भारत की एकता को सशक्त किया।

राष्ट्र की सुरक्षा नीति का मूल भाव गीता के संदेश है। उन्होंने कहा ” हम वसुधैव कुटुंबकम भी कहते हैं और धर्मो रक्षति रक्षित: का मंत्र भी दोहराते हैं। हम लालकिले से श्री कृष्ण की करुणा का संदेश भी देते हैं और उसी प्राचीर से मिशन सुदर्शन चक्र की उद्घोषणा भी करते हैं। आज सबका साथ, सबका विकास, सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय, ये हमारी नीतियां हैं और इनके पीछे भगवान श्री कृष्ण के इन्हीं श्लोकों की प्रेरणा है।

भगवान श्री कृष्ण हमें गरीबों की सहायता का मंत्र देते हैं और इसी की प्रेरणा आयुष्मान भारत और पीएम आवास जैसी स्कीम का आधार बन जाती है। भगवान श्री कृष्ण हमें नारी सुरक्षा, नारी सशक्तीकरण का ज्ञान सिखाते हैं और उसी ज्ञान की प्रेरणा से देश नारी शक्ति वंदन अधिनियम का ऐतिहासिक निर्णय करता है।

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