
रायपुर जेल में कैदियों का अनोखा गणेश उत्सव: मिट्टी से बनाईं बप्पा की मूर्तियाँ!
कैदियों की कलाकारी: मिट्टी से सजे गणेश-रायपुर सेंट्रल जेल में इस बार गणेश चतुर्थी का माहौल कुछ अलग ही था। यहाँ बंदियों ने मिलकर, अपने हाथों से पर्यावरण के अनुकूल मिट्टी से गणेश जी की सुंदर प्रतिमाएँ तैयार कीं। इस खास काम में छह कैदियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, जिससे न केवल उनकी छिपी हुई कला सामने आई, बल्कि इस त्यौहार में एक खास अपनापन भी जुड़ गया। सिर्फ मूर्तियाँ बनाना ही नहीं, बल्कि पूरे जेल परिसर को सजाने-संवारने में भी सभी कैदियों ने मिलकर काम किया, जिससे उत्सव का माहौल और भी खुशनुमा हो गया।
भक्ति और उमंग से सराबोर रहा पूरा माहौल-गणेश प्रतिमा की स्थापना के बाद, जेल के अंदर पूजा-पाठ, आरती और भजनों का दौर चला। कैदियों ने अपनी सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ भी दीं, जिनमें गणपति बप्पा की महिमा का बखान किया गया। जेल के अधिकारी और कर्मचारी भी इस उत्सव में शामिल हुए और कैदियों के साथ मिलकर भक्ति और श्रद्धा के इस माहौल का आनंद लिया। इस पूरे आयोजन ने जेल परिसर में एक सकारात्मक और भक्तिमय ऊर्जा भर दी, जो वाकई देखने लायक थी।
जेल अधीक्षक का नजरिया: सकारात्मकता और आत्म-सुधार-जेल अधीक्षक, श्री योगेश सिंह क्षत्री, ने इस आयोजन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ऐसे धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम कैदियों के अंदर आत्मविश्वास बढ़ाते हैं। उनके अनुसार, ये अवसर कैदियों को जीवन के प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने और आध्यात्मिक रूप से मजबूत बनने में मदद करते हैं। इससे उन्हें जीवन में एक नई दिशा मिलती है और समाज में वापस अच्छे से जीने की प्रेरणा मिलती है। उन्होंने यह भी बताया कि ऐसे सामूहिक आयोजन कैदियों के बीच आपसी भाईचारे और सामाजिक एकता को भी बढ़ावा देते हैं।
पर्यावरण संरक्षण का अनूठा संदेश-गणेश उत्सव के दौरान, कैदियों ने साफ-सफाई और पर्यावरण की सुरक्षा का भी एक महत्वपूर्ण संदेश दिया। मिट्टी से बनी इन गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन जेल परिसर में ही बनाए गए एक विशेष कुंड में किया जाएगा। इसका सीधा उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी तरह से जल स्रोतों या पर्यावरण को नुकसान न पहुँचे। इस पहल से यह स्पष्ट होता है कि जेल के बंदी न केवल धार्मिक उत्साह मना रहे हैं, बल्कि प्रकृति के प्रति अपनी जिम्मेदारी को भी पूरी निष्ठा से निभा रहे हैं।



