DKS अस्पताल का टेंडर बना विवाद की वजह: धोबी समाज और स्थानीय व्यापारियों ने बताई ‘बड़ी साजिश’

DKS अस्पताल का लॉन्ड्री टेंडर: स्थानीय धोबियों पर अन्याय?-रायपुर के DKS सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में लॉन्ड्री सेवा के लिए जारी टेंडर में कुछ ऐसी शर्तें रखी गई हैं जिनसे स्थानीय धोबी और छोटे व्यवसायी परेशान हैं। क्या यह जानबूझकर किया गया है? आइए जानते हैं इस विवाद की पूरी कहानी।
टेंडर की शर्तें: छोटे व्यवसायियों के लिए मुश्किलें-टेंडर में 2 करोड़ रुपये का वार्षिक टर्नओवर और 5 करोड़ रुपये की नेटवर्थ जैसी शर्तें रखी गई हैं। साथ ही, 18 लाख रुपये की परफॉर्मेंस गारंटी और 15 दिनों में उपकरण स्थापित करने की शर्त भी है। ये शर्तें छोटे धोबी व्यवसायियों और स्व-सहायता समूहों के लिए बहुत कठिन हैं। इन शर्तों के कारण, केवल बड़ी कंपनियाँ ही इस टेंडर में भाग ले पाएँगी, जिससे स्थानीय व्यवसायियों को नुकसान होगा। ऐसा लगता है कि टेंडर की शर्तें जानबूझकर इस तरह से बनाई गई हैं कि स्थानीय प्रतिस्पर्धा को कम किया जा सके।
धोबी समाज का विरोध और सरकार से मांग-प्रदेश धोबी समाज और लॉन्ड्री कर्मचारी संघ ने इस टेंडर में अनियमितताओं का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि ये शर्तें स्थानीय व्यवसायियों के हितों के खिलाफ हैं और भारतीय प्रतिस्पर्धा अधिनियम का उल्लंघन करती हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर टेंडर रद्द करने की मांग की है और चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांग नहीं मानी गई तो वे अदालत का रुख करेंगे। उनका मानना है कि इस टेंडर से रायपुर के पारंपरिक धोबी व्यवसाय को गंभीर नुकसान होगा।
क्या है सवाल?-अस्पताल प्रशासन का कहना है कि वे मरीजों के कपड़े धोने के लिए एक विश्वसनीय फर्म की तलाश कर रहे हैं। लेकिन क्या इतनी कठोर शर्तें लगाकर वे जानबूझकर स्थानीय मजदूरों और छोटे व्यवसायियों को दरकिनार करना चाहते हैं? यह एक गंभीर सवाल है जिसका जवाब अस्पताल प्रशासन को देना होगा। क्या यह टेंडर वास्तव में पारदर्शी है या इसमें स्थानीय व्यवसायियों को बाहर करने की कोई साज़िश है? इस मामले पर सभी की नज़रें टिकी हुई हैं।


