भारत में लौटा विदेशी निवेशकों का भरोसा
नई दिल्ली। भारत में लोकसभा चुनाव की शुरुआत के बाद से ही शेयर मार्केट में काफी अस्थिरता का माहौल बन गया था। खासकर, विदेशी निवेशकों ने शुरुआती चरणों में कम वोटिंग को देखते हुए बड़े पैमाने पर बिकवाली की। यह सिलसिला रिजल्ट के बाद तक जारी रहा।हालांकि, अब फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (FPI) ने इक्विटी मार्केट में वापसी की है। उन्होंने पिछले कारोबारी हफ्ते के आखिरी दिन यानी शुक्रवार (14 जून) को 2,743 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया। लेकिन भारतीय शेयर मार्केट के तमाम सकारात्मक संकेतों के बावजूद विदेशी निवेशकों का ओवरऑल नेट इन्वेस्टमेंट नेगेटिव ही रहा।
जून भी बिकवाली जारी
नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL) के मुताबिक, जून में भी विदेशी निवेशकों की बिकवाली जारी है। उन्होंने जून में शुक्रवार तक 3,064 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की है। यह बिकवाली के उस लंबे ट्रेंड को फॉलो करती है, जो लोकसभा चुनाव के बाद से ही चला रहा है।
जून के पहले हफ्ते में FPI फ्लो में काफी उतार-चढ़ाव दिखा। खासकर, एग्जिट पोल और असली चुनावी नतीजों के रिजल्ट में अंतर की वजह से। 3 जून को एग्जिट पोल के नतीजों से उत्साहित होकर विदेशी निवेशकों ने 6,521 करोड़ रुपये की खरीदारी की।
लेकिन, अगले दिन लोकसभा चुनाव के असल नतीजे एग्जिट पोल के मुताबिक नहीं रहे, तो शेयर मार्केट में भारी गिरावट आई। विदेशी निवेशकों का भी भरोसा डगमगाया और उन्होंने एक दिन पहले जितनी खरीदारी की थी, उससे करीब दोगुनी यानी 12,259 करोड़ रुपये की बिकवाली की।
वापस लौटा भरोसा
हालांकि, Modi 3.0 सरकार के सत्ता संभालने के बाद भारतीय बाजार में विदेशी निवेशकों का भरोसा बहाल होता दिख रहा है और उन्होंने निवेश शुरू कर दिया है। लेकिन, उनकी चिंता अभी भारतीय शेयर मार्केट के वैल्यूएशन को लेकर है, जो घरेलू खरीदारों के बुलिश रुख के चलते ऑल टाइम हाई पर है।
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटिजिस्ट वीके विजयकुमार ने कहा, ‘अगर यहां से भारतीय बाजार में तेजी जारी रहती है, तो हो सकता है कि विदेशी निवेशक वापस से भारी बिकवाली शुरू कर दे। फिर वे हांगकांग जैसे दूसरे बाजारों में खरीदारी कर सकते हैं, जो भारत के मुकाबले काफी सस्ता है।’ हालांकि, भारतीय बाजार में मजबूती है। साथ ही, खुदरा निवेशकों ने बाजार में गिरावट का फायदा उठाने के लिए बड़ी खरीदारी भी की। ऐसे में एफपीआई पर अपनी बिकवाली कम करने का दबाव बनाया है। यह चीज पूरे मई में देखने को मिली, जब विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली के बावजूद भारतीय शेयर बाजार ज्यादा नीचे नहीं आया।