पंजाब

पंजाब में रेल रोको आंदोलन को लेकर बड़ी खबर, किसानों ने लिया ये फैसला

चंडीगढ़: किसान-मजदूर मोर्चा (के.एम.एम.) द्वारा बिजली संशोधन बिल के खिलाफ चलते संघर्ष के दौरान चंडीगढ़ में मोर्चा के नेताओं और सरकार के बीच 9 घंटे चली मीटिंग के दौरान सरकार द्वारा लंबी चुप्पी तोड़ी गई। मुख्यमंत्री द्वारा बिजली संशोधन बिल का सरकारी स्तर पर विरोध करने का बयान दिया गया। 18 और 19 दिसंबर के पंजाब भर के डी.सी. दफ्तरों पर चलते मोर्चों पर 20 तारीख से पंजाब में रेल रोको आंदोलन के आह्वान के दौरान सरकार द्वारा चंडीगढ़ में किसान-मजदूर मोर्चा के साथ रखी मीटिंग 19 दिसंबर को घंटों चलकर देर रात खत्म हुई जिसमें एस.पी.एस. परमार आई.पी.एस. लॉ एंड ऑर्डर, अर्शदीप सिंह थिंड आई.ए.एस. प्रबंधक सचिव खेतीबाड़ी और किसान भलाई, बसंत गर्ग आई.ए.एस. प्रबंधक सचिव पावर, सोनाली गिरी आई.ए.एस. सेक्रेटरी रेवेन्यू एंड रिहैबिलिटेशन सरकार द्वारा मौजूद थे।

20 दिसंबर को चंडीगढ़ के किसान भवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर के.एम.एम. के नेताओं ने बताया कि शंभू और खनौरी मोर्चों पर चोरी हुई ट्रॉलियों और अन्य सामान की भरपाई के मामले में सरकार द्वारा कमेटी बनाए जाने की तजवीज पर सहमति बनी पर कमेटी के मैंबरों के नाम पर मोर्चे के नेताओं द्वारा एतराज उठाए जाने पर कमेटी मैंबरों के बारे में 22 तारीख सोमवार को फिर से सरकार पर के.एम.एम. के नेताओं के बीच तय हुई मीटिंग में चर्चा होगी।

नेताओं ने कहा कि बड़ी संख्या में बाढ़ पीड़ित लोगों के मुआवजे से वंचित रहने के मुद्दे पर सरकार द्वारा तुरंत प्रभाव से मुआवजे जारी करने पर सहमति दी गई और के.एम.एम. द्वारा मुहीम चला कर मुआवजों से वंचित रह गए पीड़ितों की लिस्टें तैयार करने सरकार तक पहुंचाने का काम किया जाएगा।

नेताओं ने बताया कि बाढ़ से पूरी तरह प्रभावित किसानों और मजदूरों की कर्ज माफी के मुद्दे पर स्थिति साफ करने के लिए अगली मीटिंग में संबंधित संस्थाओं के अधिकारियों को बुलाने पर सहमति बनी है। उन्होंने कहा कि मीटिंग में बनी सहमति और दूसरे जरूरी मुद्दों पर हुई मीटिंग को देखते हुए, 20 तारीख को घोषित ‘रेल रोको’ आंदोलन को फिलहाल टाला जा रहा है, लेकिन अगर मीटिंग में कोई असरदार कदम नहीं उठाए गए, तो तुरंत मीटिंग की जाएगी और अगले एक्शन प्रोग्राम का ऐलान किया जाएगा।

इस मौके पर के.एम.एम. की तरफ से सरवन सिंह पंधेर, बलदेव सिंह जीरा, मनजीत सिंह राय, मनजीत सिंह नियाल, बलवंत सिंह बेहरामके, गुरमनीत सिंह मंगत, दिलबाग सिंह गिल, ध्यान सिंह सियोना, गुरविंदर सिंह लहरा, बलकार सिंह बैंस, मलकीत सिंह गुलामीवाला, ओंकार सिंह पुराना भंगाला और दविंदर सिंह संधवान मौजूद थे।

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