दिल्ली
Trending

दिल्ली वालों के लिए बड़ी खबर: गर्मियों में बढ़ेगा बिजली बिल, जानिए क्यों और कितना असर पड़ेगा

 बिजली बिल में बढ़ोतरी: क्या है पूरा मामला?- दिल्ली की गर्मी में सिर्फ़ पसीना नहीं, बिजली के बिल ने भी लोगों की जेब ढीली कर दी है! बिजली कंपनियों ने मई-जून में बिलों में 7 से 10 फ़ीसदी तक की बढ़ोतरी का ऐलान कर दिया है। पर आखिर ऐसा क्यों हो रहा है?

PPAC: बिजली बिल का नया मेहमान- इस बढ़ोतरी की वजह है ‘पावर परचेज एडजस्टमेंट कॉस्ट’ यानी PPAC। सोचिए, कोयले और गैस की कीमतें बढ़ीं, तो बिजली बनाने का खर्चा भी बढ़ गया। ये बढ़ा हुआ खर्चा बिजली कंपनियां PPAC के ज़रिए हमारे बिलों में जोड़ रही हैं। मतलब, चाहे आप उतनी ही बिजली इस्तेमाल करें, फिर भी बिल ज़्यादा आएगा। यह एक ऐसा अतिरिक्त शुल्क है जो ईंधन की बढ़ती कीमतों को कवर करता है। यह शुल्क आपके द्वारा इस्तेमाल की गई बिजली की यूनिट्स के हिसाब से परसेंटेज के तौर पर जुड़ता है। यह फिक्स्ड चार्ज और यूनिट चार्ज दोनों पर लागू होता है, जिसका मतलब है कि जितनी ज़्यादा बिजली आप इस्तेमाल करेंगे, उतना ही ज़्यादा PPAC चार्ज लगेगा। यह एक ऐसा सिस्टम है जो बिजली कंपनियों को बढ़ते ईंधन के दामों का बोझ उपभोक्ताओं पर डालने की अनुमति देता है।

 कितनी बढ़ी हैं बिजली कंपनियों की दरें?- दिल्ली में तीन बिजली कंपनियां हैं – BRPL, BYPL और TPDDL। दिल्ली इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन (DERC) ने अक्टूबर-दिसंबर 2024 के ईंधन खर्च के आधार पर मई-जून 2025 के लिए PPAC में बढ़ोतरी की इजाज़त दी है।

BRPL (ब्रेथवेट पॉवर): 7.25%
BYPL (यमुना पॉवर):  8.11%
TPDDL (टाटा पॉवर): 10.47%

सरकार का कहना है कि कोयला-गैस के दाम बढ़ने पर बिजली कंपनियों को महंगी बिजली खरीदनी पड़ती है, और PPAC इस अतिरिक्त खर्च की भरपाई के लिए है।

 कब से और क्यों लागू है ये नियम?- यह नियम 2012 से दिल्ली में लागू है, और 2003 के बिजली कानून के तहत संभव हुआ। गर्मियों में बिजली की मांग बढ़ जाती है, और कंपनियों को महंगी बिजली खरीदनी पड़ती है। इसलिए, उन्हें 10% तक PPAC चार्ज करने की छूट है ताकि उनका घाटा पूरा हो सके। यह व्यवस्था बिजली मंत्रालय के 9 नवंबर 2021 के निर्देश के अनुसार है, जिसमें सभी राज्यों को ऐसी व्यवस्था बनाने को कहा गया था जिससे बिजली कंपनियों को ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी के हिसाब से PPAC तुरंत वसूलने की अनुमति मिल सके।

 विरोध और उपभोक्ताओं के लिए सुझाव- इस बढ़ोतरी पर विरोध भी शुरू हो गया है। रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन्स (RWA) ने इसे मनमाना बताया है, जबकि बिजली कंपनियों का कहना है कि PPAC न लगाने से बिजली सप्लाई प्रभावित होगी। उपभोक्ताओं को बिजली बचाने के उपाय करने चाहिए और अपनी RWA या उपभोक्ता संगठनों से जुड़कर अपनी आवाज़ उठानी चाहिए। अपने पुराने और नए बिलों की तुलना करके भी आप बढ़ोतरी का असर देख सकते हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Instagram बना बैटरी का दुश्मन! Android यूजर्स के लिए जरूरी अलर्ट Mivi के ये SuperPods : कम दाम में बेस-हैवी, 60 घंटे बैटरी और Dolby का कमाल