
अडानी ग्रुप को मिली बड़ी राहत: सेबी के फैसले से शेयर बाजार में आई तेजी!
बाजार की चाल बदली: अडानी समूह के शेयरों में लगी दौड़!-यह खबर उन सभी के लिए एक बड़ी राहत लेकर आई है जो शेयर बाजार पर नजर रखते हैं, खासकर अडानी समूह के निवेशकों के लिए। हाल ही में, भारत के बाजार नियामक, सेबी (SEBI), ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है जिसने गौतम अडानी और उनके विशाल समूह को लंबे समय से चल रहे आरोपों से मुक्त कर दिया है। गुरुवार को जारी किए गए सेबी के स्पष्टीकरण के अनुसार, अडानी समूह के खिलाफ लगाए गए शेयर में हेरफेर (स्टॉक मैनिपुलेशन) और अंदरूनी जानकारी का गलत इस्तेमाल (इनसाइडर ट्रेडिंग) जैसे गंभीर आरोप साबित नहीं हुए हैं। इस फैसले की गूंज शुक्रवार सुबह शेयर बाजार में साफ सुनाई दी, जहाँ अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों में एक जोरदार उछाल देखने को मिला, जिसने निवेशकों के चेहरों पर मुस्कान ला दी। यह घटनाक्रम दिखाता है कि कैसे नियामक निर्णय बाजार की धारणा और कंपनियों के मूल्यांकन को प्रभावित कर सकते हैं, और इस बार यह अडानी समूह के लिए सकारात्मक रहा।
सेबी का फैसला: क्या थे आरोप और क्या हुआ खुलासा?-जनवरी 2023 में हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट ने अडानी समूह पर कई गंभीर सवाल खड़े किए थे। रिपोर्ट में यह दावा किया गया था कि अडानी समूह अपनी कई कंपनियों के माध्यम से फंड ट्रांसफर करके शेयर बाजार में धांधली कर रहा है। हालाँकि, सेबी ने इस मामले की गहन जांच की और अपने निष्कर्षों में यह पाया कि जिन लेन-देन को हेरफेर का नाम दिया गया था, वे असल में लोन (कर्ज) थे। महत्वपूर्ण बात यह है कि इन कर्जों को ब्याज सहित वापस चुका दिया गया था। सेबी ने यह भी स्पष्ट किया कि इन लेन-देन को ‘संबंधित पक्ष लेन-देन’ (Related Party Transactions) की श्रेणी में भी नहीं रखा जा सकता, जैसा कि आरोपों में कहा गया था। नियामक ने साफ तौर पर कहा कि इस दौरान किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं हुआ और न ही किसी भी निवेशक को गुमराह किया गया। यह सेबी की ओर से एक बड़ी क्लीन चिट है जिसने समूह की प्रतिष्ठा को फिर से स्थापित करने में मदद की है।
गौतम अडानी का रुख: ‘झूठ फैलाने वालों को माफी मांगनी चाहिए!’-सेबी के इस फैसले के तुरंत बाद, उद्योगपति गौतम अडानी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (जिसे पहले ट्विटर के नाम से जाना जाता था) पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यह फैसला इस बात का पुख्ता सबूत है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पूरी तरह से मनगढ़ंत और भ्रामक थी। अडानी ने यह भी कहा कि जिन लोगों ने इस झूठी रिपोर्ट का इस्तेमाल करके गलत नैरेटिव फैलाने की कोशिश की, उन्हें अब देश और देश के निवेशकों से माफी मांगनी चाहिए। उनका मानना है कि इस फैसले से न केवल उनके समूह की छवि को बल मिला है, बल्कि यह बाजार में निवेशकों के विश्वास को और अधिक मजबूत करेगा। यह बयान दर्शाता है कि अडानी समूह अपने ऊपर लगे आरोपों को गलत साबित होने पर किस हद तक संतुष्ट है और भविष्य में अपने व्यवसाय को लेकर कितना आश्वस्त है।
निवेशकों के लिए क्या है मायने? एक नई उम्मीद की किरण!-इस पूरे प्रकरण का सबसे बड़ा और सीधा फायदा अडानी समूह में निवेश करने वाले निवेशकों को मिला है। पिछले साल हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई थी, जिससे निवेशकों का विश्वास डगमगा गया था। लेकिन अब सेबी से मिली क्लीन चिट के बाद, निवेशकों का भरोसा एक बार फिर से बहाल हो गया है। शुक्रवार को शेयरों में आई तेजी से यह स्पष्ट भी हो गया, क्योंकि इससे निवेशकों के पोर्टफोलियो का मूल्य तुरंत बढ़ गया। विशेषज्ञों का मानना है कि सेबी के इस फैसले के बाद आने वाले समय में अडानी समूह के शेयरों में और अधिक मजबूती देखने को मिल सकती है। यह निवेशकों के लिए एक सकारात्मक संकेत है कि वे अपने निवेश पर फिर से विचार कर सकते हैं और भविष्य की संभावनाओं को देख सकते हैं।



