
भारतीय बाजार से विदेशी पूंजी की लगातार निकासी और अमेरिकी डॉलर की मजबूती के बीच रुपये में गिरावट का सिलसिला जारी है. हफ्ते के पहले कारोबारी दिन, सोमवार को शुरुआती कारोबार में भारतीय मुद्रा 6 पैसे कमजोर होकर 88.71 प्रति डॉलर के स्तर पर आ गई.
क्यों टूट रहा है रुपया?
विदेशी मुद्रा कारोबारियों का कहना है कि घरेलू शेयर बाजार में सकारात्मक रुझानों और अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमतों में नरमी ने रुपये पर दबाव को कुछ हद तक कम जरूर किया, लेकिन अमेरिकी डॉलर की मजबूती और एफआईआई की लगातार बिकवाली रुपये की कमजोरी की मुख्य वजह बनी हुई है.
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया डॉलर के मुकाबले 88.70 पर खुला और शुरुआती कारोबार में यह फिसलकर 88.72 तक आ गया. यह पिछले बंद भाव 88.66 की तुलना में 6 पैसे की गिरावट को दर्शाता है. इससे एक दिन पहले शुक्रवार को रुपया 88.66 पर बंद हुआ था.
शेयर बाजार में तेजी
इस दौरान, छह प्रमुख वैश्विक मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती को दिखाने वाला डॉलर इंडेक्स 0.15 प्रतिशत की बढ़त लेकर 99.35 पर पहुंच गया. घरेलू शेयर बाजारों में भी तेजी रही. बीएसई सेंसेक्स शुरुआती कारोबार में 212.98 अंक या 0.25 प्रतिशत बढ़कर 84,775.76 पर पहुंच गया. वहीं, एनएसई निफ्टी-50 भी 50.90 अंकों या 0.20 प्रतिशत की बढ़त के साथ 25,960.95 पर ट्रेड करता दिखा.
विश्लेषकों की मानें तो विदेशी निवेशकों की व्यापारिक गतिविधियां भी शेयर बाजार के रुझानों को प्रभावित करेंगी. उनका कहना है कि आने वाले दिनों में बाजार की दिशा कुछ प्रमुख आर्थिक संकेतकों पर निर्भर करेगी. इनमें भारत के PMI आंकड़े, अमेरिका में बेरोजगारी दावों के आंकड़े, फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (FOMC) की बैठक का ब्यौरा और भारत-अमेरिका व्यापार वार्ताओं में होने वाली प्रगति जैसे कारक शामिल हैं.
अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड 0.85 प्रतिशत की गिरावट के साथ 63.84 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया. इस बीच, शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने शुक्रवार को शुद्ध रूप से 4,968.22 करोड़ रुपये की बिकवाली की, जिसने रुपये पर अतिरिक्त दबाव बनाया.


