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बायजू एप मामला : रवींद्रन ने NCLT में दी शिकायत, गलत तरीके से फंड जुटाने का लगाया आरोप

नई दिल्ली। बायजूस की मूल कंपनी थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड (टीएलपीएल)में बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। निलंबित निदेशक बायजू रविन्द्रन ने एनसीएलटी का दरवाजा खटखटाते हुए आरोप लगाया है कि प्रमुख कर्जदाता जीएलएएस ट्रस्ट कंपनी विदेशी निवेश (एफडीआई) के नाम पर अवैध विदेशी कर्ज (ईसीबी) दिलाने की कोशिश कर रही है।
उनका दावा है कि टीएलपीएल की आकाश राइट्स इश्यू में भागीदारी के लिए बनाया गया ₹100 करोड़ का सीसीडी समझौता एफईएमए और आईबीसी नियमों का खुला उल्लंघन है। मामले में बायजू रवींद्रन ने का कहना है कि यह सीसीडी सौदा भारतीय एफडीआई और एफईएमए नियमों का उल्लंघन करता है और असल में इसे विदेशी कर्ज (ईसीबी) जैसा बनाया गया है, जो पूरी तरह से प्रतिबंधित है।
अब समझिए क्या पूरा मामला?
बता दें कि पूरे मामले में एईएसएल (आकाश) को सुप्रीम कोर्ट से राइट इश्यू की मंजूरी मिल गई है। वहीं टीएलपीएल, जिसके पास एईएसएल की लगभग 25.7% हिस्सेदारी है, को अपने हिस्से का राइट इश्यू भरने के लिए करीब ₹25.75 करोड़ चाहिए थे, लेकिन टीएलपीएल दिवालिया प्रक्रिया (सीआईआरपी) में है और उसके पास पैसे नहीं हैं। इसी वजह से जीएलएएस ट्रस्ट ने अपनी अमेरिकी सहायक कंपनी के जरिये टीएलपीएलृ को ₹100 करोड़ तक के सीसीडी जारी करने का प्रस्ताव दिया, ताकि पैसा जुटाया जा सके।

 समझिए रवींद्रन ने क्यों कहा सौदा अवैध?
बात अगर आरोपों की करें तो रवींद्रन का आरोप है कि सीसीडी को जानबूझकर एफडीआई जैसा दिखाया गया है, जबकि वह विदेशी कर्ज (ईसीबी) जैसा है, जो कि गैर कानूनी है। साथ ही एक ही समय में इसे सीआईआरपी के दौरान इंटरिम फाइनेंस भी बताया जा रहा है, जो संभव नहीं है।
गौरतलब है कि रवींद्रन के अनुसार एक साधन मजबूरी से कन्वर्ट भी हो और विकल्प से भी यह कानूनी रूप से असंभव है। वहीं आरबीआई और एफईएमए के नियमों के मुताबिक यह सीसीडी असल में अनधिकृत विदेशी कर्ज है। रवींद्रन ने एनसीएलटी से आग्रह किया है कि पांच नवंबर की सीओसी मीटिंग में पास हुए सभी सात प्रस्ताव रद्द किए जाएं। साथ ही जीएलएएस ट्रस्ट के साथ किया गया सीसीडी समझौता अवैध घोषित किया जाए।

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