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मध्य प्रदेश के स्कूलों में बड़ा बदलाव: 29 अगस्त को बनेगी नई शाला प्रबंधन समितियां

 मध्य प्रदेश में शिक्षा का नया सवेरा: सीएम मोहन यादव की अनोखी पहल!

एक ऐसा कदम जो बदलेगा स्कूलों की तस्वीर-हमारे मुख्यमंत्री, डॉ. मोहन यादव, प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को और भी बेहतर बनाने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। इसी दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए, 29 अगस्त को पूरे मध्य प्रदेश के सभी 83 हज़ार स्कूलों में शाला प्रबंधन समितियों का गठन किया जाएगा। सोचिए, अब अभिभावक और शिक्षक मिलकर बच्चों की पढ़ाई और स्कूल के विकास के लिए योजनाएँ बनाएँगे। यह वाकई एक शानदार शुरुआत है जो हमारे बच्चों के भविष्य को एक नई और उज्जवल दिशा देगी।

कानून के दायरे में, पारदर्शिता के साथ गठन-ये समितियाँ शिक्षा के अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत बनाई जा रही हैं, जो यह सुनिश्चित करता है कि सब कुछ नियमों के अनुसार हो। सबसे खास बात यह है कि प्रदेश के सभी प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में एक ही दिन ये समितियाँ बनेंगी। इससे पूरे राज्य में एक जैसी और पूरी तरह से पारदर्शी व्यवस्था लागू होगी। इन समितियों का मुख्य उद्देश्य स्कूल के प्रबंधन को और सुदृढ़ बनाना और हमारे बच्चों को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करना है।

नामांकन और पढ़ाई पर पैनी नज़र-नई शाला प्रबंधन समितियों की एक महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी बच्चों की पढ़ाई और उनके स्कूल में नामांकन पर लगातार नज़र रखना होगी। जो बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं या जिन्होंने पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी है, उन पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा। इसका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी बच्चा शिक्षा से अछूता न रह जाए। यह पहल उन बच्चों की संख्या को कम करने में भी मदद करेगी जो स्कूल छोड़ देते हैं, और शिक्षा के प्रसार को बढ़ाएगी।

उपस्थिति और मिड-डे मील का हिसाब-किताब-बच्चों की नियमित उपस्थिति भी इन समितियों के एजेंडे में सबसे ऊपर होगी। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी बच्चे रोज़ स्कूल आएं और अपनी पढ़ाई में पूरी तरह से लीन रहें। इसके साथ ही, मिड-डे मील योजना पर भी कड़ी निगरानी रखी जाएगी ताकि बच्चों को पौष्टिक और स्वादिष्ट भोजन समय पर मिले। इससे न केवल बच्चों का स्वास्थ्य बेहतर होगा, बल्कि उनकी पढ़ाई पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा।

बुनियादी सुविधाओं की होगी पड़ताल-समितियाँ स्कूल में उपलब्ध बुनियादी सुविधाओं की भी बारीकी से जाँच करेंगी। इसमें पीने के साफ पानी की उपलब्धता, शौचालयों की स्थिति, बैठने की उचित व्यवस्था और बिजली जैसी ज़रूरी चीज़ें शामिल होंगी। यदि इन सुविधाओं में कोई कमी पाई जाती है, तो समिति उसे तुरंत ठीक करवाने की सिफ़ारिश करेगी। इससे सीधे तौर पर बच्चों की पढ़ाई और उनकी सुविधा में सुधार होगा।

कलेक्टरों को दिए गए ज़रूरी निर्देश-मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव ने इस पूरी प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए सभी ज़िलों के कलेक्टरों को स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं। कलेक्टर यह सुनिश्चित करेंगे कि समितियों के गठन में किसी भी तरह की कोई कोताही न बरती जाए और पूरी प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी रहे। यह सुनिश्चित करेगा कि यह महत्वपूर्ण प्रयास केवल कागजों में न रह जाए, बल्कि ज़मीनी स्तर पर भी इसका असर दिखे।

शिक्षा के स्तर में आएगा बड़ा सुधार-इस नई पहल से न केवल स्कूलों के प्रबंधन को एक नई मज़बूती मिलेगी, बल्कि शिक्षा का समग्र स्तर भी काफी बेहतर होगा। जब अभिभावक और शिक्षक मिलकर काम करेंगे, तो बच्चों के लिए एक सकारात्मक और प्रेरक शैक्षिक माहौल तैयार होगा। यह कदम आने वाले समय में मध्य प्रदेश के स्कूलों को उत्कृष्टता की ओर ले जाएगा और हमारे बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

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