छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल फिर से 14 दिन की न्यायिक रिमांड पर

शराब घोटाला: चैतन्य बघेल तीसरी बार पहुँचे जेल, अब 1 सितंबर को होगी अगली सुनवाई!-छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में फंसे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल के मामले में एक नया मोड़ आया है। सोमवार को विशेष कोर्ट में पेशी के दौरान, कोर्ट ने चैतन्य को एक बार फिर 14 दिनों की न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया है। यह उनकी तीसरी न्यायिक रिमांड है, जो मामले की गंभीरता को दर्शाती है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 1 सितंबर को होगी, जबकि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उनकी कस्टोडियल रिमांड की भी मांग की है, जिस पर 19 अगस्त को सुनवाई होनी है।
जन्मदिन पर हुई थी गिरफ्तारी, ईडी का बड़ा दावा-यह पूरा मामला तब गरमाया जब ईडी ने 18 जुलाई को, जो कि चैतन्य बघेल का जन्मदिन था, उन्हें भिलाई स्थित उनके घर से गिरफ्तार किया। यह गिरफ्तारी धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) 2002 के तहत की गई। ईडी का कहना है कि शराब घोटाले की जांच, एसीबी/ईओडब्ल्यू द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर शुरू हुई थी। इस जांच में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं, जिसमें बताया गया है कि इस घोटाले से राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ और करीब 2,500 करोड़ रुपये की अवैध कमाई कुछ लोगों की जेबों में चली गई। यह राशि प्रदेश की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा झटका है।
16.70 करोड़ रुपये नगद लेने का आरोप, रियल एस्टेट में खपाने की कोशिश-ईडी की जांच के अनुसार, चैतन्य बघेल पर इस घोटाले से सीधे तौर पर 16.70 करोड़ रुपये नगद लेने का आरोप है। आरोप है कि उन्होंने इस पैसे को अपनी रियल एस्टेट कंपनियों के माध्यम से घुमाने की कोशिश की, ताकि उसका कोई सीधा संबंध घोटाले से न जोड़ा जा सके। इस नकदी का इस्तेमाल प्रोजेक्ट डेवलपमेंट, ठेकेदारों को भुगतान करने और बैंक खातों में हेरफेर करने के लिए किया गया। इसके अलावा, उन पर त्रिलोक सिंह ढिल्लों के साथ मिलकर 5 करोड़ रुपये की रकम फ्लैट खरीदने के बहाने लेने का भी गंभीर आरोप है, जिसकी पुष्टि बैंकिंग लेन-देन से हुई है।
1000 करोड़ से ज़्यादा की संपत्ति का संचालन, कांग्रेस के कोषाध्यक्ष तक पैसा पहुँचाने का आरोप-ईडी का यह भी दावा है कि चैतन्य बघेल केवल सीधे लेन-देन तक ही सीमित नहीं थे, बल्कि उन्होंने शराब घोटाले से जुड़ी 1000 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध संपत्ति के संचालन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आरोप है कि वह अनवर ढेबर और अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर ‘प्रोसीड्स ऑफ क्राइम’ (यानी अपराध से अर्जित धन) को कांग्रेस के तत्कालीन कोषाध्यक्ष तक पहुँचाते थे। जांच एजेंसी का कहना है कि इस रकम का इस्तेमाल बघेल परिवार के सहयोगियों के माध्यम से आगे निवेश करने के लिए भी किया गया, जिससे घोटाले की जड़ें और गहरी होती दिख रही हैं।
कई बड़े नाम पहले से गिरफ्त में, अब और भी खुलासे की उम्मीद-यह शराब घोटाला पहले से ही कई बड़े नामों को अपनी चपेट में ले चुका है। ईडी ने इस मामले में पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा, अरविंद सिंह, त्रिलोक सिंह ढिल्लों, अनवर ढेबर, आई.टी.एस. अधिकारी अरुण पति त्रिपाठी और कांग्रेस विधायक व पूर्व मंत्री कवासी लखमा जैसे दिग्गजों को पहले ही गिरफ्तार कर लिया है। जांच एजेंसी का मानना है कि अभी और भी कई लोगों की भूमिका की गहन जांच चल रही है और आने वाले समय में इस मामले में कई और बड़े खुलासे होने की पूरी संभावना है, जिससे कई और चेहरे बेनकाब हो सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट से हाई कोर्ट तक कानूनी दांव-पेंच जारी-चैतन्य बघेल ने अपनी गिरफ्तारी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनकी गिरफ्तारी गैरकानूनी है और ईडी ने निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें पहले हाई कोर्ट जाने की सलाह दी। इसके बाद, उन्होंने बिलासपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर की। हाई कोर्ट ने ईडी को नोटिस जारी कर 26 अगस्त तक जवाब मांगा है। इस तारीख पर मामले की सुनवाई होनी है, जहाँ से आगे की दिशा तय होगी।
जेल में सुविधाओं पर कोर्ट सख्त, जेल अधीक्षक को दिए निर्देश-कोर्ट में चैतन्य बघेल के वकील ने एक गंभीर मुद्दा उठाया कि जेल में उनके मुवक्किल को पीने के लिए साफ पानी तक उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। इस पर कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए जेल अधीक्षक को तुरंत उचित व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने स्पष्ट किया कि बंदियों के मूलभूत अधिकारों की अनदेखी किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अब इस पूरे मामले की अगली सुनवाई 26 अगस्त को तय की गई है, जिसमें जेल की सुविधाओं के साथ-साथ अन्य अहम पहलुओं पर भी चर्चा होने की पूरी उम्मीद है।


