
कल्याण ज्वेलर्स: 170 नए शोरूम और विस्तार की शानदार योजना!-कल्याण ज्वेलर्स ने आने वाले समय में अपने बिज़नेस को और आगे बढ़ाने की एक बड़ी योजना बनाई है! कंपनी 2025-26 तक पूरे 170 नए शोरूम खोलने वाली है – 90 कल्याण ब्रांड के और 80 उनके नए लाइफस्टाइल ज्वेलरी ब्रांड, कैंडरे के। ये सब कुछ फ्रेंचाइज़ मॉडल से होगा, जिससे कंपनी को निवेश कम करना और कर्ज़ चुकाना आसान होगा।
फ्रेंचाइज़ मॉडल से तेज़ी से बढ़त-कल्याण ज्वेलर्स का ये फैसला उनके बिज़नेस को तेज़ी से आगे बढ़ाने में मदद करेगा। फ्रेंचाइज़ मॉडल से उन्हें ज़्यादा निवेश की ज़रूरत नहीं पड़ेगी और वो कर्ज़ भी आसानी से चुका पाएँगे। इससे कंपनी की पहुंच बढ़ेगी और उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिलेगी। ये एक स्मार्ट और सोची-समझी रणनीति है जिससे कंपनी के विकास की रफ़्तार और भी तेज होगी।
भारत और विदेशों में विस्तार-अभी तक कल्याण ज्वेलर्स के 406 शोरूम हैं – 287 भारत में, 36 मिडिल ईस्ट में, 2 अमेरिका में और 81 कैंडरे के। लेकिन अब कंपनी का ध्यान दक्षिण भारत से बाहर के छोटे और बड़े शहरों पर है। वो विदेशों में भी अमेरिका और ब्रिटेन जैसे बाज़ारों में कदम रखने की तैयारी कर रही है। इससे न सिर्फ़ उनके ग्राहक बढ़ेंगे, बल्कि उनकी ब्रांड इमेज भी दुनियाभर में मज़बूत होगी।
कर्ज़ में कमी: मज़बूत बैलेंस शीट-पिछले साल कल्याण ज्वेलर्स ने 400 करोड़ रुपये का कर्ज़ चुकाया और इस साल 300 करोड़ रुपये और कम करने का लक्ष्य रखा है। इससे उनकी बैलेंस शीट मज़बूत होगी और बिज़नेस को आगे बढ़ाने में आसानी होगी। कम कर्ज़ होने से विस्तार की रफ़्तार और भी बढ़ जाएगी।
कैंडरे ब्रांड: प्रीमियम सेगमेंट में बढ़त-कल्याण ज्वेलर्स का ऑनलाइन और लाइफस्टाइल ब्रांड, कैंडरे, तेज़ी से लोकप्रिय हो रहा है। कंपनी का ध्यान अभी भारत में इस ब्रांड को मज़बूत करने पर है, और जल्द ही दुबई में भी एक नया स्टोर खोला जाएगा। 2027-28 तक अंतरराष्ट्रीय विस्तार की योजना है। इससे प्रीमियम सेगमेंट में अच्छी बढ़त मिलने की उम्मीद है।
मैन्युफैक्चरिंग हब: बेहतर उत्पादन और लागत नियंत्रण-अभी तक कल्याण ज्वेलर्स कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग पर निर्भर है, लेकिन अब त्रिशूर में एक बड़ा मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की योजना है। इससे उत्पादन बढ़ेगा और लागत कम होगी, जिससे सप्लाई चेन और भी बेहतर होगा।
भविष्य की संभावनाएँ: उज्जवल भविष्य की ओर-फ्रेंचाइज़ मॉडल से बड़े निवेश की ज़रूरत नहीं होगी। इस साल कैपेक्स मेंटेनेंस और इन्वेंट्री पर 350-400 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। बढ़ती बिक्री और अच्छी मानसून की वजह से ज्वेलरी की मांग बढ़ने की उम्मीद है, जिससे बाज़ार हिस्सेदारी में भी इज़ाफ़ा होगा।



