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MP BJP में नए अध्यक्ष को लेकर हलचल तेज: अरविंद भदौरिया ने तोड़ी चुप्पी, कहा- “मैं तो सिर्फ सिपाही हूं”

 मध्य प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष पद की रेस में भदौरिया का नाम, लेकिन उनका जवाब है… बेहद विनम्र!-मध्य प्रदेश में बीजेपी अध्यक्ष की कुर्सी के लिए होड़ मची हुई है, और इस रेस में पूर्व मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया का नाम भी चर्चा में है। लेकिन, जब उनसे इस बारे में पूछा गया, तो उन्होंने बेहद विनम्रता से जवाब दिया।

 ‘मैं तो पार्टी का छोटा सा सिपाही हूँ’-मीडिया में चल रही चर्चाओं पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए भदौरिया जी ने कहा कि पार्टी में एक व्यवस्था है, और वे संगठन के एक छोटे से सिपाही से ज़्यादा कुछ नहीं हैं। उन्होंने साफ किया कि न उन्हें किसी पद की चाह है, और न ही वे खुद को इसके लिए आगे बढ़ा रहे हैं। उनका मानना है कि मीडिया में जो चर्चाएँ हो रही हैं, वो मीडिया की अपनी रिपोर्टिंग है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि पार्टी जो भी फैसला लेगी, वे उसके साथ खड़े रहेंगे।

 संगठन का फैसला ही सर्वोच्च-भदौरिया जी ने स्पष्ट किया कि अध्यक्ष पद के लिए उनका कोई निजी दावा नहीं है। उन्होंने बताया कि पार्टी हमेशा विचार-विमर्श के बाद फैसला लेती है, और वे संगठन के हर फैसले का पूरा समर्थन करते हैं। उनके लिए पद से ज़्यादा विचारधारा और संगठन के प्रति समर्पण महत्वपूर्ण है।

 पूरी निष्ठा से निभाई हैं सभी जिम्मेदारियाँ-अपने राजनीतिक सफ़र के बारे में बात करते हुए, भदौरिया जी ने बताया कि पार्टी ने उन्हें जो भी जिम्मेदारियाँ दी हैं, चाहे वो प्रदेश मंत्री का पद हो या संगठन महामंत्री का, उन्होंने उसे पूरी ईमानदारी से निभाया है। वे इसे पार्टी का आशीर्वाद मानते हैं और खुद को हमेशा संगठन का ऋणी मानते हैं।

 पद नहीं, विचारधारा से है जुड़ाव-भदौरिया जी का कहना है कि राजनीति में उनका मकसद पद पाना नहीं, बल्कि पार्टी की विचारधारा के साथ खड़े रहना है। उन्होंने फिर दोहराया कि उन्हें किसी पद की लालसा नहीं है, और वे पार्टी के निर्देशों का पालन करेंगे।

 प्रदेश अध्यक्ष बनने की दौड़ में? जवाब में फिर दिखी सादगी-जब उनसे पूछा गया कि क्या वे प्रदेश अध्यक्ष पद की दौड़ में हैं, तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि वे संगठन के निर्देशों पर चलते हैं, और पार्टी का जो भी फैसला होगा, वे उसे स्वीकार करेंगे। उनके जवाब से साफ़ पता चलता है कि वे राजनीति को सेवा के रूप में देखते हैं, न कि पद पाने की होड़ के तौर पर।

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