दिल्ली की उपभोक्ता अदालतों की बदहाली पर हाईकोर्ट सख्त: सुविधाओं की कमी पर मांगा जवाब

दिल्ली की उपभोक्ता अदालतें: सुविधाओं का बुरा हाल, हाईकोर्ट ने जताई नाराज़गी- दिल्ली हाईकोर्ट ने राजधानी की उपभोक्ता अदालतों की बदहाल स्थिति पर गंभीर चिंता जताई है। एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने दिल्ली सरकार को कड़ी फटकार लगाई। याचिका में बताया गया है कि इन अदालतों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, साफ पानी, और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएँ तक नहीं हैं।
बुनियादी सुविधाओं का अभाव: आम जनता परेशान- याचिका में बताया गया है कि दिल्ली की 10 उपभोक्ता अदालतों में कोविड के बाद से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा बंद है। इससे वकीलों और आम लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कुछ आयोगों ने आरटीआई के जवाब में स्वीकार किया है कि उनके पास ये सुविधा नहीं है और 5G नेटवर्क की ज़रूरत है। साथ ही, अदालत परिसर में साफ पानी और शौचालयों की भी कमी है, जो बेहद शर्मनाक है। यह स्थिति न केवल वकीलों और कर्मचारियों के लिए असुविधाजनक है, बल्कि आम जनता के लिए भी बेहद निराशाजनक है।
हाईकोर्ट का सख्त रुख: रिपोर्ट मांगी-मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। उन्होंने दिल्ली सरकार को तीन हफ्ते में विस्तृत रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है और अगली सुनवाई 17 सितंबर को तय की है। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि उपभोक्ता अदालतों की उपेक्षा अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
लंबित मामले और न्यायिक अधिकारियों की कमी-याचिका में लंबित मामलों की चिंता भी जताई गई है। याचिकाकर्ता ने सभी जिला उपभोक्ता आयोगों में जल्द से जल्द न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति की मांग की है ताकि सुनवाई नियमित रूप से हो सके। उनका मानना है कि पर्याप्त न्यायाधीशों की कमी से न्याय में देरी हो रही है और उपभोक्ता अदालतों का उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा है।
पुराने आदेशों की अनदेखी: कब तक चलेगा ये हाल?-यह चिंताजनक है कि कोर्ट पहले भी इस मामले में दिशा-निर्देश दे चुका है, लेकिन कोई ठोस बदलाव नहीं हुआ है। ज़रूरी सुविधाओं की कमी लोगों को अपमानजनक स्थिति में डाल रही है। कोर्ट ने कहा है कि यह स्थिति केवल वकीलों या कर्मचारियों के लिए नहीं, बल्कि न्याय की उम्मीद लेकर आने वाले आम उपभोक्ताओं के लिए भी अपमानजनक है।
क्या बदलेगा दिल्ली सरकार का रवैया?-दिल्ली हाईकोर्ट का कड़ा रुख दर्शाता है कि अब अदालतें अपनी व्यवस्था की कमियों पर चुप नहीं रहेंगी। उपभोक्ता अदालतें आम आदमी के लिए इंसाफ की आशा की जगह हैं, और अगर यहीं सुविधाओं का यह हाल रहेगा तो सिस्टम पर से भरोसा उठना तय है। अब देखना होगा कि दिल्ली सरकार 17 सितंबर तक क्या ठोस कदम उठाती है और क्या उपभोक्ता अदालतों की स्थिति में सुधार होगा।




