
बिलासपुर: सर्पदंश के मुआवजे में बड़ा घोटाला सामने आया है। बिल्हा इलाके में सांप के काटने का झूठा ड्रामा रचकर मुआवजा लेने का मामला पकड़ में आया है। पुलिस ने इस केस में वकील, डॉक्टर और मृतक के घरवालों समेत कुल 5 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। खास बात ये है कि इस पूरे मामले को विधायक सुशांत शुक्ला ने विधानसभा में भी उठाया था। एसएसपी रजनेश सिंह ने इस धोखाधड़ी का खुलासा करते हुए बताया कि शराब और ज़हर से हुई मौत को सांप के काटने से हुई मौत बताया गया। सिर्फ 3 लाख रुपए के मुआवजे के लिए पूरी कहानी रची गई थी। इस साजिश का मास्टरमाइंड वकील कामता साहू निकला है। वहीं, डॉक्टर प्रियंका सोनी पर फर्जी पोस्टमार्टम रिपोर्ट बनाने का आरोप है। पुलिस ने इन सभी के खिलाफ धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश जैसी गंभीर धाराओं में केस दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है।
एसएसपी ने बताया कि 12 नवंबर 2023 को पोड़ी गांव के रहने वाले शिवकुमार घृतलहरे को उल्टी और मुंह से झाग आने की शिकायत पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। दो दिन इलाज के बाद, 14 नवंबर को उसकी मौत हो गई। परिवार वालों ने दावा किया कि शिवकुमार की मौत सांप के काटने से हुई है। इसी आधार पर पोस्टमार्टम रिपोर्ट तैयार कराई गई, जिसमें मौत की वजह सर्पदंश लिखी गई। जांच में निकला झूठ, साजिश में वकील और परिवार वाले शामिल
जब पुलिस को शक हुआ तो उन्होंने गहराई से जांच शुरू की और बड़ा खुलासा हुआ। इलाज करने वाले डॉक्टर ने साफ किया कि मौत शराब और ज़हरीली चीज़ खाने से हुई थी। वहीं, शव की जांच करने वाले पुलिस अफसर को भी मृतक के पैर पर कोई सांप के काटने का निशान नहीं मिला। जांच में पता चला कि मृतक के परिवार वालों ने वकील कामता साहू के कहने पर झूठा बयान देकर रिपोर्ट को बदलवाने की कोशिश की थी। इनके खिलाफ दर्ज हुई एफआईआर पुलिस ने वकील कामता प्रसाद साहू, डॉक्टर प्रियंका सोनी, मृतक के पिता परागदास घृतलहरे, पत्नी नीता घृतलहरे और भाई हेमंत घृतलहरे पर एफआईआर दर्ज की है। इन सभी पर IPC की धारा 420 (धोखाधड़ी), 511 (अपराध की कोशिश) और 120बी (साजिश) के तहत केस दर्ज किया गया है। पुलिस आगे की जांच में जुटी है। विधायक ने विधानसभा में उठाया था मामला इस पूरे मामले को विधायक सुशांत शुक्ला ने विधानसभा में उठाते हुए कहा था कि सांप के काटने से होने वाली मौतों के नाम पर मुआवजे में करोड़ों का घोटाला हुआ है। उन्होंने बताया कि सर्पलोक कहे जाने वाले जशपुर में 96 लोगों की मौत तो समझ आती है, लेकिन बिलासपुर में 431 मौतें होना असंभव है। उन्होंने आरोप लगाया कि राजस्व और स्वास्थ्य विभाग के अफसरों की मिलीभगत से ये गड़बड़ी हुई है। उन्होंने इसकी जांच सचिव स्तर के अधिकारी से कराने की मांग की थी, जिस पर राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने जांच का भरोसा दिलाया था।




