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होली के शुभ अवसर पर महाकाल मंदिर में भस्मारती, भक्तों की उमड़ी भारी भीड़

महाकाल मंदिर में इस बार सादगी से मनी होली, हर्बल गुलाल से हुई शुरुआत

उज्जैन के महाकाल मंदिर में इस बार होली का जश्न परंपरा और सादगी के साथ मनाया गया। भस्म आरती में बाबा महाकाल को एक किलो हर्बल गुलाल अर्पित कर होली की शुरुआत हुई। मंदिर प्रशासन ने इस बार भक्तों के लिए सख्त नियम बनाए, जिनके तहत गुलाल या किसी भी तरह के रंगों को मंदिर में लाने पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई थी।

पिछली घटना से सीखा सबक, इस बार सख्त नियम

पिछले साल धुलेंडी पर केमिकल वाले गुलाल के ज्यादा इस्तेमाल से भस्म आरती के दौरान गर्भगृह में आग लग गई थी। इस हादसे में कई पुजारी, पुरोहित और सेवक झुलस गए थे, और एक सेवक की इलाज के दौरान मौत भी हो गई थी। इस घटना से सीख लेते हुए इस बार मंदिर प्रशासन ने हुड़दंग पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी।

केवल परंपरागत रूप से मनाने की इजाजत

मंदिर समिति ने स्पष्ट कर दिया कि इस बार धुलेंडी और रंगपंचमी पर सिर्फ परंपरा के अनुसार होली मनाई जाएगी। भक्तों को रंग, गुलाल, प्रेशर गन और अन्य सामान लाने की अनुमति नहीं थी।

मंदिर के इन इलाकों में होली खेलने पर रोक

मंदिर प्रशासन ने नंदी हॉल, गणेश और कार्तिकेय मंडपम, सभा मंडप, कोटितीर्थ कुंड और ओंकारेश्वर मंदिर परिसर सहित पूरे मंदिर क्षेत्र में होली खेलने पर सख्त प्रतिबंध लगाया। इन सभी स्थानों पर सीसीटीवी कैमरों से निगरानी रखी गई, ताकि नियमों का पालन हो सके।

भीड़ को नियंत्रित करने के लिए खास इंतजाम

गुरुवार को होली के मौके पर महाकाल मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ को देखते हुए खास इंतजाम किए गए। संध्या आरती के दौरान केवल सीमित संख्या में भक्तों को प्रवेश दिया गया। नंदी और गणेश मंडपम में गिनती के लोग बैठ पाए, जबकि कार्तिकेय मंडपम पूरी तरह खाली रखा गया।

वीआईपी एंट्री पर भी कड़ा नियंत्रण

इस बार वीआईपी दर्शन की सुविधा भी सीमित कर दी गई। प्रोटोकॉल के तहत आने वाले भक्तों की संख्या कम कर दी गई और शीघ्र दर्शन टिकट सुविधा को भी अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया। मंदिर के गेट नंबर 1 और 4 को पूरी तरह से बंद कर दिया गया, ताकि भीड़ को नियंत्रित किया जा सके। केवल कुछ विशेष अतिथियों को ही प्रवेश की अनुमति दी गई।

सख्त नियमों और सुरक्षा प्रबंधों के चलते इस बार महाकाल मंदिर में होली शांतिपूर्ण और सुरक्षित माहौल में संपन्न हुई।

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