केजरीवाल और आतिशी के खिलाफ मानहानि केस में सुनवाई 30 तक के लिए टली
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और वर्तमान मुख्यमंत्री आतिशी मार्लेना ने अग्रवाल मतदाताओं के ‘नाम कटवाने’ का आरोप लगाने के खिलाफ आपराधिक मानहानि के मामले में ट्रायल कोर्ट की ओर से जारी समन को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई टाल दी है। आज जस्टिस हृषिकेश राय की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष इस मामले में ट्रायल कोर्ट में शिकायतकर्ता और दिल्ली भाजपा के नेता राजीव बब्बर की ओर से पेश वकील सोनिया माथुर ने जवाब दाखिल करने के लिए समय देने की मांग की, जिसके बाद कोर्ट ने अगली सुनवाई 30 सितंबर को करने का आदेश दिया।
केजरीवाल और आतिशी ने दिल्ली हाई कोर्ट के 2 सितंबर के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें ट्रायल कोर्ट की ओर से जारी किए गए समन को सही करार दिया गया था। 28 जनवरी 2020 को राऊज एवेन्यू कोर्ट के सेशंस कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल समेत आम आदमी पार्टी के चार नेताओं के खिलाफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की ओर से जारी समन के आदेश के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी थी।
भाजपा नेता राजीव बब्बर ने कोर्ट में याचिका दायर कर चारों के खिलाफ दिल्ली में मतदाता सूची से अग्रवाल मतदाताओं के ‘नाम कटवाने’ का आरोप लगाने के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया है। 16 जुलाई 2019 को मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने इस मामले में केजरीवाल को जमानत दी थी। राजीव बब्बर ने आरोप लगाया है कि सोशल मीडिया पर केजरीवाल ने लोगों को भाजपा के खिलाफ भड़काने का प्रयास किया। दिल्ली में अग्रवाल समाज के लोगों का वोटर लिस्ट से नाम हटाने के मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बयान के खिलाफ आपराधिक मानहानि की याचिका दायर की गई है। याचिका में केजरीवाल के अलावा आतिशी मर्लेना, मनोज कुमार और सुशील कुमार गुप्ता को भी आरोपित बनाया गया है। उल्लेखनीय है कि अग्रवाल समाज के लोगों का वोटर लिस्ट से नाम हटाने को लेकर भाजपा और आम आदमी पार्टी के नेताओं के बीच आरोप प्रत्यारोप लगाए गए थे। भाजपा पर निशाना साधते हुए आम आदमी पार्टी के नेताओं और खुद अरविंद केजरीवाल ने कहा कि भाजपा ने दिल्ली के कुल 8 लाख बनिया वोटरों में से 4 लाख के नाम क्यों कटवाए, जवाब दीजिए । भाजपा की नोटबंदी और जीएसटी जैसी ग़लत नीतियों की वजह से व्यापारियों के धंधे चौपट हो गए।