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सेना, सुशासन और पत्रकारिता पर उठे 5 बड़े सवाल: जीतू पटवारी ने शिवराज सरकार को घेरा

मध्य प्रदेश: न्याय की गुहार और सवालों की गूंज- मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इंदौर से सरकार पर पांच बड़े सवाल उठाए हैं, जिनसे प्रदेश की राजनीतिक और सामाजिक स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं। आइए, इन सवालों को विस्तार से समझते हैं।

 सेना का अपमान: क्या सरकार है डरी हुई?- कैबिनेट मंत्री विजय शाह और उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा के सेना को लेकर दिए गए विवादास्पद बयानों पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई क्यों नहीं हुई? हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने इन बयानों की कड़ी निंदा की है, फिर भी सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। क्या सरकार सेना के अपमान करने वालों पर कार्रवाई करने से डर रही है? क्या बीजेपी ऐसे बयानों को जानबूझकर नज़रअंदाज़ कर रही है जो देश की सेना के सम्मान को ठेस पहुँचाते हैं? यह सवाल बेहद अहम है और जनता के मन में चिंता पैदा करता है।

 धीमी कार्रवाई: अदालतों की फटकार बेअसर क्यों?- कोर्ट ने विजय शाह के बयान पर कई बार गंभीर टिप्पणियां की हैं, एफआईआर में खामियों की बात कही है, और सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं। इसके बावजूद पुलिस ने निष्पक्ष कार्रवाई नहीं की और न ही सरकार ने कोई सख्त कदम उठाया। जब अदालतें ही सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रही हैं, तो मुख्यमंत्री की चुप्पी क्या दर्शाती है? क्या यह जवाबदेही की कमी नहीं है? जनता को न्याय मिलने में देरी क्यों हो रही है?

 मंत्रियों पर नियंत्रण: सरकार की कमजोरी?- विजय शाह और जगदीश देवड़ा जैसे नेता बार-बार विवादास्पद बयान देते हैं, जिससे सरकार की छवि और सेना की प्रतिष्ठा को नुकसान होता है। मुख्यमंत्री इन मंत्रियों को खुली छूट क्यों दे रहे हैं? क्या यह सरकार की आंतरिक कमजोरी को दर्शाता है? क्या सरकार अपने ही मंत्रियों पर नियंत्रण नहीं रख पा रही है? अगर यही हाल रहा तो प्रदेश का सुशासन कैसे सुनिश्चित होगा?

 पुलिस व्यवस्था: सुधार की दरकार- सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं, खासकर संवेदनशील मामलों में निष्पक्षता की कमी को लेकर। मुख्यमंत्री खुद गृह विभाग संभाल रहे हैं, फिर भी सुधार क्यों नहीं दिख रहा? क्या मध्य प्रदेश को एक पूर्णकालिक और अनुभवी गृहमंत्री की ज़रूरत नहीं है जो पुलिस को जवाबदेह बना सके? जनता अब सिर्फ़ कार्रवाई नहीं, बल्कि व्यापक बदलाव देखना चाहती है।

 पत्रकारों की सुरक्षा: सच से डर?- भिंड में पत्रकारों पर हमले, भोपाल में पत्रकारों को निशाना बनाना और मुख्यमंत्री द्वारा माइक हटाने जैसी घटनाएँ प्रेस की आज़ादी पर हमला हैं। क्या मध्य प्रदेश में सच्चाई दिखाने वाले पत्रकार अब सुरक्षित नहीं हैं? क्या सरकार सच से डर रही है? ऐसे बर्ताव को कब तक बर्दाश्त किया जाएगा? प्रेस की आज़ादी को कुचला जाता रहेगा?

 कांग्रेस की मांग: न्याय और सुशासन की बहाली- कांग्रेस ने मांग की है कि विजय शाह और जगदीश देवड़ा को तुरंत बर्खास्त किया जाए, पुलिस तंत्र में व्यापक सुधार किए जाएँ, और पत्रकारों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार को रोका जाए। मुख्यमंत्री से अपील है कि इन गंभीर मसलों पर तुरंत कार्रवाई की जाए ताकि मध्य प्रदेश में न्याय और सुशासन की छवि फिर से बहाल हो सके।

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